Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
वीना श्रीवास्तव की कविताएं

ख़ून के बहते धार को रोकने में
हमारा भी रक्त रिसेगा निश्चित ही
वैसे भी
आधी दुनिया के रक्त रिसावी चक्र से ही
जन्मी है तुम्हारी दुनिया

प्रतिभा सुमन शर्मा की दो कविताएँ

कई बार मैं पत्थर हूँ और हूँ बेजान
यह सोचकर कइयों ने किया उपहास
कितनों ने तो उखाड़ फेंकने का यत्न किया
पर स्तंभ हूँ मैं
जड़ें बेहद रुंझी है मेरी

लता अग्रवाल 'तुलजा' की कविताएँ

साहित्य
आज चेतन मन का भाव नहीं
महज चमत्कृत शब्दों की
बुनावट बन कर रह गया है

उमेश स्वामी 'यायावर' की कविताएँ

गर्मियों की धूप
सर्दियों की ठंड से लड़ते-लड़ते
वह पेड़ मुस्कुराता है
घने कोहरे में तुम्हारे लिए