Ira Web Patrika
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लोक और प्रकृति दोनों एक-दूसरे की पूरक हैं- आशा पाण्डेय ओझा 'आशा'

आशा पाण्डेय ओझा 'आशा' समकालीन साहित्य में एक जाना-पहचाना नाम हैं। बाल-साहित्य, दोहा, ग़ज़ल, गीत, मुक्तछंद कविता तथा आलोचना-समीक्षा में न केवल लिखती हैं बल्कि सम्मानित भी होती हैं। एक सशक्त और खरे लेकिन बहुत सहज तथा वात्सल्यमयी व्यक्तित्व की धनी आशा जी से हिंदी ग़ज़ल के चर्चित युवा कवि, संपादक एवं समीक्षक के० पी० अनमोल का संवाद इरा वेब पत्रिका के पाठकों के लिए प्रस्तुत है।

कोई रचनाकार किसी दूसरे रचनाकार का विकल्प हो ही नहीं सकता- डॉ० भावना

डॉ० भावना हिंदी की ग़ज़ल में अपना एक विशिष्ट स्थान रखती हैं। आप एक ग़ज़लकार, ग़ज़ल आलोचक एवं संपादक के रूप में लगातार सक्रिय हैं तथा साहित्य के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान कर रही हैं। महिला दिवस के अवसर पर हिंदी की इस उल्लेखनीय महिला रचनाकार के साथ युवा आलोचक ज़ियाउर रहमान जाफ़री ने इनके लेखकीय एवं व्यक्तिगत जीवन तथा ग़ज़ल के विभिन्न पक्षों को लेकर एक अच्छी बातचीत की। प्रस्तुत है उनका पूरा संवाद।

साहित्य का समाज से अलग कोई अस्तित्व नहीं है- डॉ० राकेश जोशी

देहरादून (उत्तराखण्ड) निवासी डॉ० राकेश जोशी हिंदी ग़ज़ल के वरिष्ठ रचनाकारों में एक महत्त्वपूर्ण नाम हैं। आप पिछले तीन दशकों से अधिक समय से साहित्य सृजन में सक्रिय हैं। अब तक आपके तीन ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं, जिन्हें भरपूर सराहना मिली है। इसके अलावा सैंकड़ों पत्र-पत्रिकाओं तथा ऑनलाइन पोर्टलों पर आपकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं। डॉ० जोशी का उत्तराखण्ड की उच्च शिक्षा में भी अहम योगदान रहा है। कुछ ही समय पूर्व इनका नया संग्रह 'हर नदी की आँख है नम' प्रकाशित होकर आया है। साहित्य तथा ग़ज़ल के पाठकों के लिए प्रस्तुत है विभिन्न विषयों पर इनके साथ हुआ एक संवाद।

कथाकार प्रतिमा श्रीवास्तव का साक्षात्कार- अमरीक सिंह 'दीप'

अमरीक सिंह 'दीप' द्वारा प्रतिमा श्रीवास्तव का पूर्व में लिया गया रोचक साक्षात्कार