Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
भानु झा की ग़ज़लें

देखिए  आज  उसकी वुसअत में
मैं भी किस हद तलक समाता हूँ

अर्चना अनुप्रिया की कविताएँ

रिश्ते-नाते के अपने नियम
स्वार्थ-परमार्थ की आँख मिचौली
अपने-पराए की विचित्र कहानी
कभी दुश्मनी, कभी हमजोली
हर व्यवहार अपने कर्मों से
स्वयं को सिद्ध करने को बेताब
पल-प्रतिपल लिखती रहती है
ज़िंदगी हर मानव की किताब

अनुज पाण्डेय के गीत

टूटी थी पतवार कि
कैसे इतनी जल्दी छोर पकड़ते?
कैसे सबकुछ छोड़
इश्क़ की इक पतंग की डोर पकड़ते
हम समाज के धुर निर्धन थे
धन में बस दो-चार सपन थे
सपने बेच इश्क़ ले आते
उर इतना भी अभय नहीं था

अमित पाण्डेय की ग़ज़लें

 
कोई भी काम छोटा या फिर बड़ा नहीं है 
पाना है कुछ तो दिल से दुनिया निकाल पहले