Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
योगेश कुमार ध्यानी की कविताएँ

घूमा यह संसारा ख़ूब
इतना दरिया, इतना दरिया
आँखें जातीं ऊब

दयाराम वर्मा की कविताएँ

देशप्रेम से ओतप्रोत
दुश्मन को ललकारते
ओजस्वी शब्द
स्वर लहरियों पर हुलसित
राग-रागिनी हैं शब्द
सप्त स्वरों का गुंजन भी
मधुर मिलन लय-स्वर शब्द

शैलेन्द्र चौहान की कविताएँ

असल में मैं कहीं नहीं हूँ
मेरे पास पैसे नहीं हैं
मै ग्रेजुएट हूँ घर पर बैठा हूँ
सपने हैं और सपने भी वैसे ही
जैसे टीवी सीरियल, सोशल मीडिया से

केशव शरण की कविताएँ

प्यार महान है
यह सबमें एक समान है
पीर महान है
यह सबकी एक समान है

अन्यथा कहाँ
मैं और तू
और कहाँ वे!
देवी व देव!!