Ira Web Patrika
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प्रगति गुप्ता के उपन्यास 'पूर्णविराम से पहले' की तेरहवीं कड़ी

शिखा के बड़े भाई ने अपने प्रिय मित्र समीर के साथ उसकी शादी का प्रस्ताव इस बीच माँ के सामने रख दिया। माँ ने भी समीर को देखा हुआ था। उन्होंने भी समीर और शिखा के रिश्ते पर मोहर लगा दी। शिखा से किसी ने भी कुछ पूछने की ज़रूरत नहीं समझी। उस समय बेटियों से पूछता ही कौन था! वह तो गाय के जैसे जिस खूँटे से बाँधों, बँध जाती थी।

प्रगति गुप्ता के उपन्यास 'पूर्णविराम से पहले' की बारहवीं कड़ी

शिखा की बातें सुनकर प्रखर उस रोज़ कितनी ज़ोर से हँसा था। उसकी निश्चल और मासूम हँसी को सुनकर शिखा में घबराहट व उत्सुकता एक साथ जाग्रत हो उठी थी।

प्रगति गुप्ता के उपन्यास 'पूर्णविराम से पहले' की ग्यारहवीं कड़ी

आज शिखा को समीर से जुड़े अनूठे प्यार का अनुभव हुआ। उसे लगा कि काश यह सब समीर ने थोड़ा-सा भी उसे महसूस करवाया होता तो ज़िंदगी और भी ख़ूबसूरत हो जाती।

प्रगति गुप्ता के उपन्यास 'पूर्णविराम से पहले' की दसवीं कड़ी

फिर अचानक धीरे-धीरे प्रीति को दर्द में आराम आना शुरू हुआ और उसकी साँसे धीरे-धीरे करके ठंडी पड़ती गई। जाने से पहले प्रीति ने मेरा एक हाथ कसकर पकड़ लिया था। जैसे ही प्रीति ने विदा ली, उसका हाथ मेरे हाथ से छूटकर बिस्तर पर गिर पड़ा। हम दोनों चुपचाप लाचार खड़े हुए उसको जाता हुआ देखते रहे।