Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
सुमन सिंह चंदेल की कविताएँ

रामायण के बीच रखा जाना सुहाएगा उन्हें
जब कोई लगाएगा माथे से
तो मिलेगा एक स्नेहिल स्पर्श भी

जीनस कँवर की कविताएँ

अब वो मुझे प्रेम कहकर
सम्बोधित नहीं करता है
अब पेड़ कहता है
मुझे मेरा चाहने वाला

गोलेंद्र पटेल की कविताएँ

मुझे कुएँ और धुएँ के बीच सिर्फ़ धूल समझा जाता है
पर मैं बेहया का फूल हूँ
देवी-देवता मुझे हालात का मारा और वक्त का हारा कहते हैं
मैं दक्खिन टोले का आदमी हूँ

प्यारचंद शर्मा 'साथी' की कविताएँ

प्रकृति और जीवन को अपनी अनुभवी नज़रों से देखतीं रचनाकार की ये कविताएँ बहुत सामान्य शब्दों और बिम्बों में गहन दर्शन समाहीत किये हुए हैं। यहाँ पेड़, नदी, दोपहर, मील का पत्थर आदि प्रतीक भर नहीं, बल्कि नायक बनकर उभरते हैं।