Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
मनोज शुक्ल 'मनुज' के मनहरण घनाक्षरी

राम-माया दोनों के ही फेर में रहे जो बंधु,
उनको न माया मिली, राम भी नहीं मिले।

नीरज 'नीरू' के पंच चामर छन्द

विदेश,देश में  बसी ,मनुष्य जाति बुद्ध हो,
अधर्म को तजें सभी,कि बैर हो न युद्ध हो।
करें कभी न कर्म यूँ, कि चित्त ही अशुद्ध हो,
बनें स्वयं सुदीप ही,कि बुद्धि भी न क्रुद्ध हो। 

सरोज सिंह 'सूरज' के पंच चामर छन्द

 
उमा रमा सरस्वती त्रिदेव शक्ति अंबिके।
गणेश कार्तिकेय मातु चंडिके प्रचंडिके।
प्रसीद सिंहवाहिनी त्रिशूल चक्र धारिणी।
प्रसीद कालिके कराल रक्तबीज नाशिनी।

आशा राय नशीने के पंच चामर छन्द

न हर्ष हो न शोक हो, सुमार्ग ही चले चलो,
सुगम्य  राह  क्यों  मिले,सदैव वक्त में ढलो।
प्रपंच से  बचे  रहो, प्रकाश ज्ञान का बनो,
विरक्ति  मार्ग स्वर्ग का,प्रवाह ध्यान का बनो।