Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
शाहजहाँ शाद के दोहे

पैसे से ही भागती, है जीवन की रेल

अशोक कुमार पाण्डेय 'अशोक' के घनाक्षरी छन्द

इस अंक में छन्द विधान के ज्ञाता, की पुस्तकों के रचयिता एवं ब्रज कुशमेश के संपादक वरिष्ठ कवि अशोक कुमार पाण्डेय 'अशोक'  के घनाक्षरी छन्द पढ़िए।  

सरोज सिंह 'सूरज' के दोहे

नीर भरे नैना रहें, लिये दरस की प्यास।
प्यासे नैना जल भरे,अजब विरोधाभास।।

 

मनोज शुक्ल 'मनुज' के मनहरण घनाक्षरी

राम-माया दोनों के ही फेर में रहे जो बंधु,
उनको न माया मिली, राम भी नहीं मिले।