Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
सरोज सिंह 'सूरज' के छन्द

भले हो कितना भी संत्रास
भोर आएगी रख विश्वास ।
देख तटरेखा है अब पास ।
अरे नाविक रख मन में आस।।

राहुल शिवाय के दोहे

चाहे तुम मेरा कहो, या अपनों का स्वार्थ।
मैं अंदर से बुद्ध हूँ, ऊपर से सिद्धार्थ।

डॉ० सुरेश कुमार शुक्ल के घनाक्षरी छन्द

भक्ति सूत्र मे पिरोये छन्द छन्द मोतियों से 
प्रेम की सुगन्ध दिव्य आपको रिझायेगी। 
यति-गति-लय को सम्हाल तो न पाया नाथ!
मति की विफलता ज़रूर आड़े आयेगी।