Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
गरिमा सक्सेना के दोहे

तार-तार होती रही, फिर भी बनी सितार।
नारी ने हर पीर सह, बाँटा केवल प्यार।।

श्वेता राय के सवैया छन्द

अंग अनंग तरंग उठाकर प्रेम सुधा बिखरावत नैना।
मान बसे मनुहार लिए उर चैन चुराय रिझावत नैना।

सरोज सिंह 'सूरज' के छन्द

भले हो कितना भी संत्रास
भोर आएगी रख विश्वास ।
देख तटरेखा है अब पास ।
अरे नाविक रख मन में आस।।