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शेफालिका झा की लघुकथाएँ

अत्यंत संवेदनशील लेखनी की धनी शेफालिका झा की लघुकथाएँ पढ़िए। 

चंद्रेश कुमार छतलानी की लघुकथाएँ

उस समय उस धरती पर द्वापर युग चल रहा था। युधिष्ठिर को युवराज बनाने के राजसूय यज्ञ समारोह का आरम्भ श्रीकृष्ण की पूजा से करने पर, शिशुपाल क्रोध में भर गया और श्रीकृष्ण को अपशब्द कहने लगा। कृष्ण मुस्कुराते हुए उसकी गालियाँ गिन रहे थे।

डॉ० लता अग्रवाल 'तुलजा' की लघुकथाएँ

इंस्पेक्टर ने हवलदार को इशारा किया। पास ही खड़ी कार से सूट-बूट पहने एक साहब अपनी मेम साहब के साथ कार से उतरे, उनकी गोद में चार साल का मँहगा सूट, बूट पहने एक गोलमटोल बच्चा था।

शराफ़त अली ख़ान की तीन लघुकथाएँ

बुढ़ापा क्या इतना दयनीय भी हो सकता है? वह सोचने लगा। उसने बिस्तर पर से उठने का असफल प्रयास किया। किंतु उठने की उसकी सारी शक्ति व्यर्थ गई। वह कमर तक उठा, फिर लेट गया। ये बुढ़ापा भी क्या कमीनी चीज है? वह ये सोचकर इस कठिन समय में भी मुस्कुरा पड़ा। वह लेटे-लेटे सोचने लगा। वक़्त ही दुनिया में सब कुछ है। एक वक़्त वह था, जब ट्रेनिंग के दौरान वह पच्चीस किलोमीटर की तेज चाल से चलकर वन विभाग के फिजिकल टेस्ट में पास हुआ था।