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डॉ० नीरज शर्मा 'सुधांशु' की लघुकथाएँ

डॉ० नीरज शर्मा 'सुधांशु' की लघुकथाएँ

गलियारे में कई मोड़ों से गुज़रते हुए आखिर वह कोठरिया आ ही गई जहाँ एक बूढ़ी महिला, बीच से ढीले, नीचे लटके बान के झिंगोले में धँसी खाँस रही थी।
डॉक्टर सुमित को देखते ही उसकी ललाई आँखों में उम्मीद की किरण जगमगाई। लगातार खाँसने से ज़बान अटक गई थी। मूक याचना करते कँपकँपाते उसके हाथ जुड़ गए थे।

एक- अनाथ पति

अनुज ने मोबाईल पर फ्लैश होते मैसेज को खोल कर देखा। जीवन साथी वैवाहिक पोर्टल पर किसी लड़की ने इन्टरेस्ट भेजा था, साथ ही चैट के माध्यम से उसका पर्सनल नंबर भी माँगा था। वह सीधे लड़के से ही बात करना चाह्ती थी।
अनुज ने अपना नंबर दिया और कुछ ही देर में उसका कॉल आ गया।
एक दूसरे के विषय में, करियर के बारे में, भविष्य के प्लान्स के बारे में बहुत सी बातें हुईं और अंत में बात आ गई फैमिली पर। अनुज ने बताया कि वह अपने माता-पिता को अपने साथ ही रखेगा।
इस पर कुछ पल की चुप्पी के बाद उधर से आवाज़ आई, “मैं तो कंफर्टेबल नहीं हूं इसमें।“
“क्यों?”
“एक्चुअलि मेरे मम्मी-पापा भी होम टाऊन में ही रहना पसंद करते हैं। मैं जॉब करती हूँ। जब ऑफिस से घर आऊँगी तो थककर आराम करना चाहूँगी। पेरेंट्स साथ होंगे तो उनकी भी कुछ एक्स्पेक्टेशंस होंगी। बात करना चाहेंगे। उनके भी दस काम होंगे। फिर मुझे भी तो स्पेस चाहिए होगी।“
“मता-पिता के प्रति भी तो बच्चों की ज़िम्मेदारी होती है। तुम लड़की हो, एक लड़के के पॉइंट ऑफ व्यू से सोचो। आज तो मेरे पेरेंट्स भी होम टाऊन में रहते हैं लेकिन कुछ साल बाद ही सही, कभी तो उन्हें हमारी ज़रूरत पड़ेगी ही न। एक उमर के बाद बच्चों की ज़रूरत होती ही है, तब उन्हें कैसे अकेला छोड़ सकते हैं, वो भी इस्लिए कि तुम्हें स्पेस चाहिये? बुरा मत मानना पर मुझे तो ये बहुत ही घटिया सोच लगती है।“
“मैं तो ऐसे किसी के साथ नहीं रह पाऊँगी।“
“फिर शादी ही क्यों करनी, शादी का तो मतलब ही फैमिली होता है। केवल पति-पत्नी से ही फैंमिली नहीं होती।“
“मेरे लिए मेरी स्वतंत्रता ज्यादा मायने रखती है।“
“अच्छा किया तुमने खुलकर बात की। मैं समझ गया तुम्हें पति नहीं, अनाथ पति चाहिए।“


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दो- विद्रोहिणी

पॉड्कास्ट के लिए स्टुडियो तैयार था। ‘लेखक की कहानी लेखक की ज़ुबानी’ कार्यक्रम में आमंत्रित थीं मशहूर लेखिका अनन्या सोढी।
एंकर और लेखिका दोनों बड़ी ही गर्मजोशी से मिलीं।
वार्तालाप शुरू करते हुए एंकर नीला ने उनका विस्तृत परिचय दिया और फिर शुरू हुआ सवाल-जवाब का दौर।
“लेखन पर बात करें उससे पहले कुछ अपने बचपन और अपने आज के बारे में बताइए।“ एंकर नीला ने बात शुरू की।
“मैं एक फौजी की बेटी और एक फौजी की ही पत्नी हूँ! बचपन से पढ़ने में बहुत होशियार तो नहीं पर ठीक-ठाक थी। आपने वो कविता सुनी है न--कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती…”
“जी हाँ, सुनी है।" एंकर ने मुस्कराकर कहा।
“बस, मैंने उसे बचपन में ही अपने ज़हन में बसा लिया था या कहिए कि घोलकर पी लिया था... “
“बहुत खूब! इसकी झलक मिलती भी है आपके लेखन में…विद्रोह की भावना या यूं कहें कि एक आग सी महसूस होती है। उस पर भी बात करेंगे। अच्छा, अभी ये बताइए कि आपने लिखना कब शुरू किया?” नीला ने उत्साहित होकर पूछा।
“जब मैं कक्षा आठ में थी तब मैंने पहली कविता लिखी थी।“
“आपको लिखने की प्रेरणा अपने घर में किसी से मिली या विद्यालय में अपने शिक्षकों से?”
“घर में लिखने-पढ़ने का माहौल नहीं था। माँ कम पढ़ी-लिखी थीं और पिता सरहदों पर तैनात रहते थे; पर हाँ, एक शिक्षिका मेरे लेखन के लिए परोक्ष रूप से प्रेरक अवश्य रहीं।“
“परोक्ष…रू…प से… मैं समझी नहीं।“
अनन्या ने पर्स में से पॉलिथीन का छोटा-सा पाउच निकाला। उसमें से कागज़ के टुकड़े निकालकर हथेली पर रखे और दृढ़ता से कहा, “ये रहे मेरी प्रेरणा के परोक्ष स्रोत! मेरी एक शिक्षिका ने मेरी पहली रचना को फाड़कर मेरी मुट्ठी में थमा दिया था। बस, वहीं से सुलग उठी थी आग, और-और रचने की!“

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तीन- अटूट विश्वास

एक लंबा गलियारा था जो खत्म होने का नाम नहीं ले रहा था। गलियारे से मानो रोशनी की दुश्मनी थी। समानांतर चल रही दुर्गंध से बजबजाती नालियाँ नथुनों को साँस रोक लेने को विवश कर रही थीं। अधिकतर दरवाजों पर टाट के फटे मैले-कुचैले पर्दे टंगे थे। एक अजीब-सी गंध वातावरण में तारी थी। घर के बाहर दरवाजे व सीढ़ियों के किनारे सब्जियों और अंडों के छिलके, खाए हुए मांस-मच्छी के टुकड़े व घरेलू कचरे के ढेर-से पटे पड़े थे। जुगुप्सा-सी जाग गई मन में। एक अनजाना-सा भय भी समाया हुआ था डॉ० सुमित के मन में, पर उस पर हावी वह भावना भी थी जो उन्हें आगे की ओर धकेल रही थी।
गाँव-गाँव, शहर-शहर सांप्रदायिक दंगों के माहौल में सब ओर तनावपूर्ण स्थिति थी। गाँव में सबने किसी भी अनहोनी को रोकने के उद्देश्य से तय किया था कि दिन छिपने के बाद कोई भी दूसरे समुदाय के मोहल्ले में नहीं जाएगा।
सब-कुछ जानते-बूझते भी सिराजुद्दीन इधर आया था और सबके मना करने के बावजूद सिराजुद्दीन के अनुनय-विनय को डॉ० सुमित टाल नहीं पाए थे।
उन्होंने सबको सदैव अपना ही समझा था; फिर वह किसी भी समुदाय, किसी भी ज़ात-बिरादरी का हो, सज्जन या चोर-डकैत हो, उन्हें दीन-दुखियों की सेवा से ही मतलब रहा था।
गलियारे में कई मोड़ों से गुज़रते हुए आखिर वह कोठरिया आ ही गई जहाँ एक बूढ़ी महिला, बीच से ढीले, नीचे लटके बान के झिंगोले में धँसी खाँस रही थी।
डॉक्टर सुमित को देखते ही उसकी ललाई आँखों में उम्मीद की किरण जगमगाई। लगातार खाँसने से ज़बान अटक गई थी। मूक याचना करते कँपकँपाते उसके हाथ जुड़ गए थे।
डॉ० सुमित ने उसका सुपरफिशियल मुआयना किया। नब्ज़ देखी, फिर स्टैथोस्कोप लगाकर काफी देर तक वक्ष के भीतर की खराश और साँसों के उतार-चढ़ाव को कानों से पढ़ा। अब तक उनकी खुद की धड़कन भी कुछ संभल चुकी थीं। अपने साथ बॉक्स में रखी दवाइयों में से निकालकर डेरीफाइलीन का इंजेक्शन लगाया। कुछ दवाइयाँ दीं व खानपान की हिदायत देकर चलने लगे।
सिराजुद्दीन ने दवाइयों का बॉक्स उनके हाथ से लिया व उनके अस्पताल तक सुरक्षित उन्हें पहुँचा दिया।
अस्पताल में साँस रोक कर बैठे लोगों की जान में जान आई, डॉक्टर सुमित को सुरक्षित लौटता देखकर।
“आपको हमारी बात माननी चाहिए थी डॉक्टर साहब!” सिराजुद्दीन के जाते ही लोगों ने शिकायती स्वर में कहा।
“आप क्या समझते हैं, डॉक्टर और मरीज़ के बीच के रिश्ते को ऐसी घटनाएँ डिगा पाएँगी?“ डॉक्टर सुमित ने उनसे पूछा और अपने काम में लग गए।

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3 Total Review
D

Divakar pandey

24 March 2025

तीनों लघुकथाएं अच्छी हैं। खासकर अनाथ पति वाली सामयिक भी है। अटूट विश्वास तो अब सिर्फ कागजों तक ही बचा है। जमीनी तौर पर आपसी भरोसा बिल्कुल नहीं है।

V

Vibha Rashmi

23 March 2025

दोनों लघुकथाएँ समसामयिक विषयों पर और सशक्त हैं । हार्दिक बधाई।

डॉ सुषमा त्रिपाठी

19 March 2025

दोनों लघुकथायें अच्छी बनी हैं।

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रचनाकार परिचय

नीरज शर्मा 'सुधांशु'

ईमेल : drniraj.s.sharma@gmail.com

निवास : बिजनौर(उत्तर प्रदेश)

साहित्यिक नाम- डॉ. नीरज सुधांशु
जन्मतिथि- 17 सितंबर, 
जन्मस्थान- लखनऊ
शिक्षा- बी.ए.एम.एस (गुजरात आयु.युनि.जामनगर),
डिप्लोमा इन  एक्स्पोर्ट मेनेजमेंट (मेडिसिनल एन्ड एरोमेटिक प्लान्ट्स)
पी.जी.डिप्लोमा इन जर्नलिज़्म एंड मास कॉम्युनिकेशन्स
व्यवसाय- 39- वर्षों से चिकित्साकार्य (प्रसूति एवं स्त्री रोग)
निदेशक- वनिका पब्लिकेशन्स ( पुस्तक प्रकाशन का कार्य)
लेखन विधाएँ- कविता, गीत, दोहे, ग़ज़ल, लघुकथा,  कहानी, निबन्ध,व्यंग्य,मेडिकल लेखन
प्रकाशित कृतिया- ‘आँसू लावनी‘- ताटंक छंद पर आधारित  -111  सचित्र मुक्तक।
निःशब्द नहीं मैं- लघुकथा संग्रह 
विभिन्न राष्ट्रीय  व अनेक  क्षेत्रीय पत्र -पत्रिकाओं में अनेक बार  कविता, व्यंग्य, लघुकथा, लेख, निबंध , गीत, ग़ज़ल, स्वास्थ्य संबंधित आलेख इत्यादि का अनेक वर्षों से  प्रकाशन।  
कई लघुकथाओं का पंजाबी व गुजराती में अनुवाद                                40 -से अधिक संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन। 
संपादित कृतियाँ- ललित काव्य (कविताएँ), बूँद-बूँद सागर, अपने-अपने क्षितिज, सफर संवेदनाओं का, स्वाभिमान, लघुकथा में किसान, लघुकथा में पर्यावरण, आयोजन-२०२०- एक समग्र प्रयास (लघुकथा-संग्रह), व्यंग्य बत्तीसी, व्यंग्य के पांच स्वर, व्यंग्यकारों का बचपन, थाने थाने व्यंग्य (व्यंग्य संकलन), चंद कदम, कितने गुलमोहर , कहानी है कि खत्म नहीं होती, खुसरो दरिया प्रेम का, मृगतृष्णा, गूंगे नहीं शब्द हमारे, अंधेरे में उजास, ऊजालों की ओर खुलती खिड़कियाँ (कहानी संकलन), बाल कहानियाँ                            प्रसारण- आकाशवाणी नजीबाबाद से नियमित रूप से  महिला जगत, स्वास्थ्य चर्चा एवं स्वास्थ्य सलाह कार्यक्रमों में वार्ताओं का प्रसारण।
aeonayurveda- के नाम से स्वास्थ्य आधारित यूट्यूब चैनल का प्रसारण
सम्मान- 1-  अखिल भारतीय साहित्य कला मंच, चाँदपुर द्वारा ‘साहित्यश्री‘ सम्मान, 
2-  जैमिनी अकादमी पानीपत द्वारा ‘रामवृक्ष बेनीपुरी जन्मशताब्दि सम्मान‘ 
3-  बज़्मेसईद झाबुआ (म.प्र) द्वारा ‘शाईरेवतन‘ सम्मान  
4- स्व.श्री हरि ठाकुर स्मृति  सम्मान। 
5-  साहित्यश्री-भारतेंदु समिति कोटा द्वारा
6-  अखिल भारतीय प्रगतिशील लघुकथा मंच पटना द्वारा 'लघुकथा मंच सम्मान'
7- आचार्य रत्नलाल विद्यानुग स्मृति अखिल भारतीय लघुकथा प्रतियोगिता सम्मान-2017
8- नारी अभिव्यक्ति मंच द्वारा-शोभा कुक्कल स्मृति सम्मान- 2019
9- हरियाणा प्रादेशिक लघुकथा मंच द्वारा लघुकथा सेवी सम्मान- 2019
10- ब्राह्मण अंतर्राष्ट्रीय समाचार द्वारा स्व. महादेवी वर्मा स्मृति सम्मान- 2020
11-  विश्व मैत्री मंच द्वारा सम्मानित- 2019
12- हिन्दुस्तान एवं स्वयं द्वारा अचीवर्स अवार्ड- 2024
12- श्री राजकुमारबंसल स्मृति लघुकथा सम्मान-2024
14-  ऊषा प्रभाकर लघुकथा सम्मान-2024
संपर्क- सरल कुटीर , आर्य नगर, नई बस्ती, बिजनौर-246701
मोबाइल- 09837244343