Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
डॉ० चंद्रेश कुमार छतलानी की लघुकथाएँ

“फिर से स्वागत है. अब देखिए प्रदर्शनकारी महिलाओं में से कईयों ने हाथ में तख्ती पकड़ी हुई हैं, इन पर लिखा है ‘सेव लाइव्स‘, ‘नो रेप - नो मर्डर‘, ‘स्टॉप वोईलेंस‘...

आइये इनसे कुछ प्रश्न करते हैं.

डॉ० सुषमा गुप्ता की लघुकथाएँ

उसने एक कागज़ पर जितने अक्षर सीखे थे, सब लिख दिए और अपने आँगन से उसके आँगन में फेंक दिया, फिर अपने गेट से निकलकर तेज़ी से उसके घर की तरफ़ गई। उसके आँगन में पड़ी अपनी चिट्ठी को देख, खुशी से चहकती हुई, उसके घर के अंदर गई।

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’ की लघुकथाएँ

प्रधानजी कन्या पाठशाला के लिए चंदा इकट्ठा करने निकले तो पारो के घर की हालत देखकर पिघल गए–"क्यों दादी, तुम हाँ कह दो तो तुम्हें बुढ़ापा-पेंशन दिलवाने की कोशिश करूँ?"

योगराज प्रभाकर की लघुकथाएँ

दरवाज़ा एकदम खुल गया है, वे दोनों बाहर आ गए हैं और मुझसे थोड़ी ही दूर खड़े हैं। मुझे लगा कि दोनों मुझे अजीब-सी नज़र से देख रहे हैं मैं सकपका-सा गया हूँ, कहीं इन्होने मेरी चोरी तो नहीं पकड़ ली है...