Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

गीता गुप्ता 'मन' के सरोज सवैया छन्द

गीता गुप्ता 'मन' के सरोज सवैया छन्द


चंपई कत्थई बैंगनी मोगरी, लाल पीले गुलाबी हरे रंग होली में।
है अबीरों भरी प्रात की सुष्मिता शाम के रंग है दंग होली में।

पंखुड़ी पंखुड़ी प्रार्थिनी प्रीति की पावनी पावनी पालकी में चली है री!
बाँधुली कुंद जूड़े सजे माँगटीका जपापुष्प की ही कली है री!

मौलश्री छींट के वस्त्र धारे सखी प्रेम से प्रेम के पाटलों में पली है री!
कौन है ये कहाँ से यहाँ आ रही,सुष्मिता सौम्यता से भरी पोटली है री!



लाजवंती खिलौना बनी हाथ की, आपको खेलने को मिले हो जहाँ बोलो।
ताल के मध्य में तैर के वारिजो के प्रसूनो! सुनो कौन लाता कहाँ बोलो।

बेरियों से लदे पेड़ काटों भरे कौन दीवार को फांद जाता वहाँ बोलो।
केतकी कुंद के कुंज की कामिनी क्यों? कहाँ खो गयी ?है बचा क्या यहाँ बोलो।



चंपई कत्थई बैंगनी मोगरी, लाल पीले गुलाबी हरे रंग होली में।
है अबीरों भरी प्रात की सुष्मिता शाम के रंग है दंग होली में।

हास उल्लास आनंद ऊर्जा अहा! फागुनी है उमंगें भरी अंग होली में।
प्रेम सौहार्द से जो गले आ मिले, सीखते नेह के ये नए ढंग होली में ।।



वेश गोविंद का धार आए यहाँ,कौन हो क्यों हमें यों रहें हो सता ऊधौ!
कृष्ण जो छोड़ के जा बसे दूर हैं रो रहें वृक्ष,पाषाण होती लता ऊधौ!

खो गयी वेणु की माधुरी भानुजा तीर जो प्रीति का दे रही थी पता ऊधौ!
कृष्ण ने क्या कहा,क्या लिखा पत्र में क्यों न आये सखा ये बता ये बता ऊधौ!



जो निरंकार है स्पर्श कैसे करें, ले सकेंगे भला क्या बलैया सुनो ऊधौ।
व्याप्त सर्वत्र जो क्या चरा पाएगा,ग्वाल बालों सखा संग गैया सुनो ऊधौ।

कृष्ण लीला का आनंद क्या दे सके,ज्ञान विज्ञान संवाद भैया सुनो ऊधौ।
जानते हैं यही मानते हैं यही, प्राण आधार हैं प एक प्यारे कन्हैया सुनो ऊधौ।

******************

0 Total Review

Leave Your Review Here

रचनाकार परिचय

गीता गुप्ता 'मन'

ईमेल :

निवास : उन्नाव (उत्तर प्रदेश)

जन्मस्थान- उन्नाव 
लेखन विधा- छन्द एवं गीत 
संप्रति- शिक्षिका