Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
आराधना शुक्ला के गीत

वे मुस्कानों के प्यालों में
ग़म का शर्बत पीने वाले
जीवन को ठोकर दे-देकर
जीभर जीवन जीने वाले
वे दुविधाओं के धागों से
सुविधाओं का बाना बुनते
वे जो काँटों की सुइयों से
घावों का मुख सीने वाले
वे जो सागर को उबालकर
बादल में पानी भरते हैं
उन्हीं अग्निधारी सुमनों को
मौसम का हर ढंग मुबारक
दुनिया तुझको रंग मुबारक

आकृति विज्ञा 'अर्पण' के गीत

सच कहती हूँ सुनो साँवली,
तुमसे ही तो रंग मिले सब।
जब ऊँचे स्वर में हँसती हो,
मानो सूखे फूल खिले सब।

विनोद श्रीवास्तव के पाँच गीत

हमारे दर्द गूँगे हैं
तुम्हारे कान बहरे हैं
तुम्हारा हास्य सतही है
हमारे घाव गहरे हैं