Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
राजीव राज के गीत

प्रतिबन्धों के बन्धन तोड़ें, संतृप्ति के पार चलें।
पिंजड़े तोड़ें सभी नापने अम्बर का विस्तार चलें ।।

देवेन्द्र कुमार पाठक 'महरूम' के गीत

हमने दुख को मीत बनाया !
 
हाथ हिला, कह 'हैलो' हँस दिया,
सुखाभास भुजपाश कस लिया,
पर अछोर आकाश दुखों का
दो आंखों में नहीं समाया, 
 
नयनकोर से बहा अश्रु बन
शोकगीत निःशब्द सुनाया।

जयराम जय के गीत

हों स्वप्न सभी साकार आपके 
नये साल में!
 
घर बाहर सूरज समृद्धि की 
किरणें बरसायें  
सन्ध्यायें सुख-सुविधाओं के
मंगल दीप जगायें
 
स्वागत के सामान लिये हों 
सभी थाल में!

मधु शुक्ला के गीत

ये महज संयोग है या लेख विधि का
टूटता यूँ ही नहीं घेरा परिधि का
मैं बनाती राह खुद पगडंडियों सी
आ मिली हूँ आज पनघट से तुम्हारे।