Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
राजेन्द्र वर्मा के गीत

हर कोई पूँजी के पाँव-तले,
श्रमिकों की छाती पर मूँग दले,
वक़्त नहीं यह चुप रह जाने का,
सौंह तुम्हें, जो तुमने होंठ सिले,

देवेन्द्र पाठक 'महरूम' के गीत

अस्ताचल पर बुझा अंगारा,
धुँधला हर परिदृश्य हो रहा,
बोध नहीं पथ, दिशा, समय का
गहन तिमिर में लक्ष्य खो रहा;

आशा देशमुख के गीत

कच्ची पगडंडी पर
बजते निरगुन
पाखी के कलरव में
दुआ के शगुन,
 

राघव शुक्ल के गीत

कामनाओं का हवन होगा
यहीं अब चिंतन मनन होगा
भावनाओं के भवन में फिर
प्रेम से भगवद्भजन होगा
यहीं होंगे स्वप्न सब साकार
क्षुब्ध मन में छा गया उल्लास