Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
नेहा वैद्य के गीत

फिर पुराने पृष्ठ पलटे
समय ने चुपचाप उलटे
ले वही पुस्तक वही शब्दावली।
ज़िन्दगी आगे बढ़ी, आगे चली।।

नीरजा 'नीरू' के गीत

शत्रु संपत्ति समझीं गयीं नारियाँ
वस्तुओं के सदृश मोल उनका हुआ,
आपसी युद्ध हों याकि हों संधियाँ
वस्तु विनिमय सदृश तोल उनका हुआ।

राहुल शिवाय के गीत

प्रीति-सौरभ इस हृदय में
क्यों बसाऊँ मैं
और कस्तूरी लिए
क्यों मृग सदृश भटकूँ
उर्वशी के रूप से
बींधा हुआ खग बन
क्यों हृदय की कामना को
पुरुरवा कर दूँ

गरिमा सक्सेना के गीत

साथ तुम्हारे पी थी जो वो
अदरक वाली चाय
चीनी नहीं, घुले थे उसमें
सब प्रेमिल पर्याय