Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
राहुल शिवाय के गीत

प्रीति-सौरभ इस हृदय में
क्यों बसाऊँ मैं
और कस्तूरी लिए
क्यों मृग सदृश भटकूँ
उर्वशी के रूप से
बींधा हुआ खग बन
क्यों हृदय की कामना को
पुरुरवा कर दूँ

गरिमा सक्सेना के गीत

साथ तुम्हारे पी थी जो वो
अदरक वाली चाय
चीनी नहीं, घुले थे उसमें
सब प्रेमिल पर्याय

राजीव राज के गीत

प्रतिबन्धों के बन्धन तोड़ें, संतृप्ति के पार चलें।
पिंजड़े तोड़ें सभी नापने अम्बर का विस्तार चलें ।।

देवेन्द्र कुमार पाठक 'महरूम' के गीत

हमने दुख को मीत बनाया !
 
हाथ हिला, कह 'हैलो' हँस दिया,
सुखाभास भुजपाश कस लिया,
पर अछोर आकाश दुखों का
दो आंखों में नहीं समाया, 
 
नयनकोर से बहा अश्रु बन
शोकगीत निःशब्द सुनाया।