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यतीन्द्र नाथ राही के गीत

यतीन्द्र नाथ राही के गीत

 
रोज़ सवेरे  किरन कान में
कुछ कह कर जाती है
खिड़की के उस पार
डाल पर चिड़िया कुछ गाती है
कलियों के कहकहे गन्ध के
लुटते खील बताशे
किसने माँग सवारी ऋतु की
किसने अंग तराशे?
 

एक
 
जीवन की सौगात मिली है 
कुछ सुख की 
दुख की फुलझड़ियाँ 
 
बूढ़ी साँसों में साहस भर 
धर ली एक चुनौती हमने 
कोई कुछ कह ले, पंखों का 
साहस तो स्वीकारा जग ने 
चहके हैं  चातक भीतर के 
महकी हैं बाहर की कलियाँ 
 
यह अक्षर यह शब्द-ब्रह्म का 
स्वर-संधान गीत की वाणी 
युग का मर्म, सत्य जीवन का 
कहती है कविता कल्याणी 
कण-कण सिंधु अगाध रूप की 
हैं अनंत बिखरी 
ये छवियाँ 
 
बैठ गया उस परम शक्ति के 
बंद कपाटों पर दस्तक धर 
धरनी ही होंगी आशीषें 
कभी प्रतीक्षा के मस्तक पर 
सुन ही लूँगा परम शांति में 
महामौन की वे अनुध्वनियाँ

******************



दो
 
चलो
पकड़ लें हाथ!
अभी तो
दूर बहुत चलना है।
 
रोज़ सवेरे  किरन कान में
कुछ कह कर जाती है
खिड़की के उस पार
डाल पर चिड़िया कुछ गाती है
कलियों के कहकहे गन्ध के
लुटते खील बताशे
किसने माँग सवारी ऋतु की
किसने अंग तराशे?
 
एक बार
चल कर उस तक भी
परिचय तो करना है
 
क्षितिजों के उस पार
अहर्निशि जो अमरित झरता है
आने से पहले जो
माँ के स्तन-घट को भरता है
 
उससे एक बार मिल लेते 
फिर जाने कल कौन कहाँ हो
हम मुँह लटके इधर खड़े हों तुम पछताती उधर वहाँ हो 
 
छोर नहीं है, इस अनन्त का
इन्द्र जाल
पलना है ।
 
चलो पकड़ लें हाथ 
अभी तो 
बहुत दूर चलना है
 
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वसंत जमशेदपुरी

20 December 2024

सुंदर गीत

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रचनाकार परिचय

यतीन्द्रनाथ 'राही'

ईमेल : newsoutin1@gmail.com

निवास : भोपाल (मध्य प्रदेश)

जन्मस्थान- 31 दिसम्बर 1926
जन्म स्थान- भारौल जिला मैनपुरी, (वर्तमान- फिरोजाबाद) (उ.प्र.)
शिक्षा- एम.ए., बी.एड.
संप्रति- सेवानिवृत्ति के बाद स्वतंत्र लेखन, संपादन, प्रकाशन
प्रकाशन- अनेक समवेत काव्य संकलनों, पत्र-पत्रिकाओं, इंटरनेट, आकाशवाणी, दूरदर्शन से स्फुट रचनाएं, समीक्षाएं, भूमिकाएँ
आवरण आलेख आदि।
काव्य संग्रह- 1. पुष्पांजलि 2. बाँसुरी 3. दर्द पिछड़ी ज़िन्दगी का 4. बाँहों भर आकाश 5. कुहरीले झरोंखों से
खण्ड काव्य- महाप्राण
दोहा संग्रह- घरौंदे रेत के
बाल-गीत- तितली बादल मोर कबूतर
गीत-ग़ज़ल- रेशमी अनुबंध
गीत/नवगीत- 1 अंजुरी भर हरसिंगार
2 रेत पर प्यासे हिरन
3 चुप्पियाँ फिर गुनगुनायीं
कविता कोष 4 काँधों लदे तुमुल कोलाहल
इन्टरनेट पर 5 ज़िन्दगी ठहरी नहीं है
6 सांध्य के ये गीत लो
7 अभी दूर चलना है
8 महाशोर के सन्नाटों से
9 खुशबुओं के गाँव
अब तक 18 कृतियाँ संपर्क
संपर्क- ए-54, रजत विहार, होशंगाबाद रोड, भोपाल-26,
मोबाइल- 7725004444, 9993501111