Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
सत्य पी० गंगानगर की ग़ज़लें

अब कभी मिलना हुआ मुमकिन अगर
होंठ रक्खूँगा तुम्हारे पाँव पर

डॉ० नलिन की ग़ज़लें

एक हैं तन मन जहाँ  
बात क्या शह-मात की 

सत्यशील राम त्रिपाठी की ग़ज़लें

लील  जाती हैं सड़क पगडंडियाँ
काश पगडंडी भी सड़कों पर चढ़े

इक़रा अम्बर की ग़ज़लें

परिंदों ने मुझे अपना लिया है
लिपट कर रोई थी मैं इक शजर से