Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
अलका मिश्रा की ग़ज़लें

टूट गया जब सब्र नदी का उस लम्हा
जितने  थे  मज़बूत  किनारे  टूट  गए

अंजू केशव की ग़ज़लें

आपको माना कि बारिश चाहिए
बादलों को पर गुज़ारिश चाहिए

है तो औरत ही भले सीता ही है
तो उसे भी आज़माइश चाहिए

अल्का 'शरर' पाँच की ग़ज़लें

हिसार-ए-ज़ात से बाहर कभी गर मैं निकल पाती
तो अपने जिस्म से कुछ रूह का हिस्सा बदलती मैं

असलम राशिद की पाँच ग़ज़लें

बिछड़े थे जिसकी वजह से सीता से राम जी
मैं उस हिरन को राम कहानी से खींच लूँ