Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
नवीन सी० चतुर्वेदी की ग़ज़लें

वह तो द्वापर था महोदय आज भी यह सत्य है
गोपियों  को  कोई  भी  उद्धव  पढ़ा सकता नहीं

सत्यम भारती की ग़ज़लें

अक्षर-अक्षर सत्य दिखाई देता है
सुख-दुख सबकुछ आकर ठहरा चेहरे पर
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सपने, ख़ुशबू, बादल, जुगनू
सबका कारोबार तुम्हीं से

डॉ० आरती कुमारी की ग़ज़लें

ताज पाने के लिए क्या-क्या नहीं होता यहाँ पर
क्यों मिला था राम को वनवास हम सब जानते हैं

चाँदनी 'समर' की ग़ज़लें

मुज़फ्फ़रपुर, बिहार की उभरती हुई ग़ज़लकार चाँदनी 'समर' की ग़ज़लें आम-फ़हम भाषा की सधी हुई ग़ज़लें हैं। इनके पास ग़ज़ल का पारंपरिक रंग भी है और अपने दौर की फ़िक्र भी। शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करते हुए चाँदनी, अदब में भी अच्छा मुकाम बनाने के लिए अग्रसर हैं।