Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
मधु मधुमन की ग़ज़लें

ख़्वाब देखे थे बुलंदी-ए-फ़लक के लेकिन
घर की देहलीज़ तलक पार नहीं कर पाए

सीमा विजयवर्गीय की ग़ज़लें

जहाँ इक तड़प हो, समर्पण हो दिल में
वो रिश्ते निभाना, अगर हो सके तो

लता जौनपुरी की ग़ज़लें

मुश्किलों में भी मिलेगी तुझको मंज़िल की डगर
सिर्फ़ अर्जुन की तरह तू लक्ष्य का संधान कर

तरुणा मिश्रा की ग़ज़लें

दरिया किसी की प्यास का सहरा से जा मिला
दोनों ने अपनी तिश्नगी आपस में बाँट ली