Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
प्रगति गुप्ता के उपन्यास 'पूर्णविराम से पहले' की छठवीं कड़ी

उसके मैसेज पढ़कर शिखा ने लिखा- मैं भी तुम्हें कभी भूली नहीं प्रखर! मेरा पहला प्यार थे तुम। तुमने मुझे अहसास करवाया प्यार क्या होता है। हमारे प्यार में शरीर कभी आया ही नहीं। तभी रूह से रूह का रिश्ता ख़त्म हुआ ही नहीं। तुम्हारी कई कविताएँ आज भी मेरे पास महफ़ूज़ हैं। जब भी तुम्हारी बहुत याद आती थी, तुम्हारी कविताओं को निकाल कर पढ़ लेती थी और घंटों तुम्हारे ख़यालों में खोई रहती।

प्रगति गुप्ता के उपन्यास 'पूर्णविराम से पहले' की पाँचवी कड़ी

एक उम्र के बाद कुछ दर्द बहुत अपने-से लगने लगते हैं। शिखा कुछ ऐसा ही प्रखर के दर्द में महसूस करने लगी थी। यही सच प्रखर से भी जुड़ गया था।
स्वतः घटित होने वाले भाव कितने निश्चल और मासूम होते हैं। यह प्रेम करने वाले ही समझ सकते हैं।

नीलम तोलानी 'नीर' के लघु-उपन्यास 'करवाचौथ' की पाँचवीं कड़ी

यह सब घटनाक्रम इतनी तेजी से घटित हुआ कि कबीर न तो समझ पाया न ही सम्हल पाया...आख़िर ऐसा क्या ग़लत कह दिया था उसने.... इन छः महीनों के साथ में हर क्षण उसने यही महसूस किया था कि स्निग्धा भी वही चाहती है जो वह चाहता है... फिर ग़लती कहाँ हुई, जो भी था वह सपना था, या जो अब हो रहा है वह सपना है? क्या कहेगा वह पापा मम्मी को ..हर दिन जिस की बातें करता रहा... वह लड़की मुझसे शादी ही नहीं करना चाहती ...लिव इन की बात करती है . शनैः शनैः कबीर की आँखों में अँधेरा छाने लगा... अब क्या करें न तो स्निग्धा के बग़ैर जी सकता है , न उसकी शर्ते मान कर ...

प्रगति गुप्ता के उपन्यास "पूर्णविराम से पहले" की चौथी कड़ी

एक उम्र के बाद प्रेम का स्वरूप कितना विशाल हो जाता है....प्रखर को अच्छे
से महसूस हुआ। इंसान जिसे सच्चा प्यार करता है उसके साथ के हर रिश्ते से
भी बहुत प्यार करने लग जाता है। तभी तो छोटे से ही अंतराल में समीर भी
उसका मित्र बनने लगा था।