Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
रश्मि रविजा की कहानी 'चुभन टूटते सपनों के किरचों की'

'काँच के शामियाने' उपन्यास से चर्चा में आयीं रश्मि रविजा, जानी-मानी कथाकार और ब्लॉगर थीं। पिछले कुछ वर्षों में लेखन के साथ ही पक्षियों के प्रति अपने प्रेम के कारण भी उन्हें आदर से देखा गया। इसी वर्ष उन्होंने पक्षियों पर केन्द्रित एक कैलेंडर भी प्रकाशित कराया था। कैंसर की बीमारी ने कुछ ही समय पूर्व उन्हें असमय हमसे छीन लिया। रश्मि रविजा की इस कहानी के माध्यम से 'इरा परिवार' उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

- गंगाशरण सिंह

सुधा गोयल की कहानी 'मीरा'

तुम्हारे प्रति अपराधी हूँ मीरा, लेकिन ऐसा एक सप्ताह पूर्व न था। मैं स्वयं को बेहद समझदार समझ बैठा था। मुझे स्वयं पर अभिमान हुआ था। इसका कारण खोजता हूँ तो लगता है कि मैं अकेला ही नहीं, तुम भी कहीं ज़रूर दोषी हो। तुमने मेरी इतनी तारीफ़ की, मेरी विद्धता की इतनी कायल हुई कि मैं स्वयं को बहुत बड़ा विद्वान समझ बैठा।

सीमा सिंह की कहानी 'अधूरा प्रायश्चित'

“सर, इमरजेंसी है, जली हुई औरत है, एट्टी परसेंट जली हुई है।” जूनियर डॉक्टर ने चैम्बर में झांक कर थोड़े हडबडाए स्वर में बताया तो मैंने झटपट लैपटॉप बंद किया और अपना गाउन और मास्क  उठा उसके साथ हो लिया।

श्यामल बिहारी महतो की कहानी 'प्रेम न हाट बिकाय'

"मैं तो अभी भी आश्चर्यचकित हूँ। एक जानवर जिसे अपना नाम मालूम है। और पुकार सुनकर वह दौड़ा चला आता है। प्रेम और स्नेह का अद्भुत कांबिनेशन!”