Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
तेजेन्द्र शर्मा की कहानी -पापा की सज़ा

पापा ने ऐसा क्यों किया होगा ?
उनके मन में उस समय किस तरह के तूफ़ान उठ रहे होंगे? जिस औरत के साथ उन्होंने सैंतीस वर्ष लम्बा विवाहित जीवन बिताया; जिसे अपने से भी अधिक प्यार किया होगा; भला उसकी जान अपने ही हाथों से कैसे ली होगी? किन्तु सच यही था- मेरे पापा ने मेरी माँ की हत्या, उसका गला दबा कर, अपने ही हाथों से की थी।

जयराम सिंह गौर की कहानी- अपवाद

पुतान भाई बड़े मस्त अपने काम से काम रखने वाले आदमी थे। बिलावजह किसी के काम में टांग नहीं अड़ाते थे। उनका बस एक शौक था तीतर पालने का,उसके लिए बड़ा सुंदर सा पिंजड़ा बनवाए थे वह पिंजड़ा उनके साथ खेतों में भी रहता था। जब वह कानपुर आते या कहीं रिश्तेदारी में जाते तो अपनी भाभी को सौंप कर आते थे। इसके अलावा उनके पास दूसरा कोई अमल नहीं था। पर किसी की दुःख तकलीफ में अपनी जान लगा देते थे।

जयनन्दन की कहानी- हनकी बूढ़ी का कवच

दीन दयाल का मुँह लटक गया और उसे लगने लगा कि अब तक उसके द्वारा किया जाने वाला पूजा-पाठ-यज्ञ-हवन सब व्यर्थ चला गया। जिन देवी-देवताओं की आप पूजा कर रहे हैं, याचना कर रहे हैं, वरदान माँग रहे है, वे सब खुद अपने ही अस्तित्व की रक्षा में असमर्थ सिद्ध हो गये। यह तो बड़ी अजीब बात है। सजा तो उसे कुछ न कुछ जरूर मिलनी चाहिए।

डॉ० ज्योत्सना मिश्रा की कहानी - हिन्दी का मास्टर

"आप मुझे क़सम खिलायेंगे जल संरक्षण की? मैडम जी, आप अपने टॉयलेट में एक बार में जितना पानी बहा देतीं हैं हम लोग उतने में हफ्ता बिताते थे। आप के हाथ में जो यह प्लास्टिक की पानी की बोतल है न, इसी की वजह से हमारे डंगर प्यासे मर जाते हैं।"