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डॉ० कृष्ण कुमार 'नाज़' की ग़ज़लें

डॉ० कृष्ण कुमार 'नाज़' की ग़ज़लें

ज़िंदाबाद मोहब्बत, तेरे दीवाने भी ज़िंदाबाद
ज़ात फ़ना कर बैठे अपनी और नज़ीरें छोड़ गए

रामचरितमानस, रामायण, भगवद्गीता, वेद, पुराण
अभिनंदन उन पुरखों का जो ये जागीरें छोड़ गए

ग़ज़ल- एक

अश्क जब आके चहकते हैं परिंदों की तरह
झिलमिला उठती हैं पलकें भी मुँडेरों की तरह

अब तो पहचान भी हम अपनी गँवा बैठे हैं
किसी ज़ंजीर से बिछड़ी हुई कड़ियों की तरह

बेबसी तीर चलाती है न जाने क्या-क्या
ख़ुद में दुहरी हुई मग़रूर कमानों की तरह

जिनके साये भी कराते हैं चुभन का अहसास
फ़ितरतन होते हैं कुछ लोग बबूलों की तरह

उसी चादर को किया वक़्त ने धज्जी-धज्जी
ओढ़ रक्खी थी जो ग़ुरबत ने उसूलों की तरह

ज़ह्न की ऐश-पसंदी की बदौलत ऐ ‘नाज़’
जिस्म फ़ुटपाथ पे रक्खे हैं खिलौनों की तरह

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ग़ज़ल- दो

कोई तो है, जो बुराई से लड़ना चाहता है
मिज़ाज शहर का जब भी बिगड़ना चाहता है

हवाओ! तुम ही निकालो कोई नई तरकीब
कि ज़र्द पत्ता शजर से बिछड़ना चाहता है

बढ़ाओ और बढ़ाओ ज़रा-सी लौ इसकी
कि ये चिराग़ अँधेरों से लड़ना चाहता है

तमाशबीनों से कह दो, अब अपने घर जाएँ
हुई है शाम, ये मेला उखड़ना चाहता है

जो आँखें ख़्वाब सजाती थीं हर घड़ी, उनमें
अब आँसुओं का समंदर उमड़ना चाहता है

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ग़ज़ल- तीन

ज़िंदगी तेरे अगर क़र्ज़ चुकाने पड़ जायँ
अच्छे-अच्छों को यहाँ होश गँवाने पड़ जायँ

साफ़गोई है किसी अच्छे तअल्लुक़ की शर्त
वादे ऐसे भी न हों जो कि पुराने पड़ जायँ

लहलहाने दो अभी ख़ूब मुहब्बत की फ़स्ल
जब तलक बालियों में इसकी न दाने पड़ जायँ

कोई माथे पे शिकन हो न कोई शिकवा हो
बोझ औरों के भी गर तुझको उठाने पड़ जायँ

ज़ह्न में अब भी हिफ़ाज़त से हैं तेरे अल्फ़ाज़
हो भी सकता है तुझे याद दिलाने पड़ जायँ

अपनी गर्दन को झुकाए हुए चलना है तुझे
क्या पता राह में कुछ राजघराने पड़ जायँ

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ग़ज़ल- चार

वादों की फ़ेहरिस्त दिखाई और तक़रीरें छोड़ गए
वो सहरा में दरियाओं की कुछ तस्वीरें छोड़ गए

कच्ची नींदों से उकताए, अलसाए, झुँझलाए ख़्वाब
आँखों की दहलीज़ पे आए, कुछ ताबीरें छोड़ गए

रेगिस्तान में उठने वाले तेज़ बगूले क्या जानें
रेत के सीने पर कितनी ही वो तहरीरें छोड़ गए

घर आए कुछ मेहमानों का ऐसा भी बर्ताव रहा
दीवारों पर आड़ी-तिरछी चंद लकीरें छोड़ गए

ज़िंदाबाद मोहब्बत, तेरे दीवाने भी ज़िंदाबाद
ज़ात फ़ना कर बैठे अपनी और नज़ीरें छोड़ गए

रामचरितमानस, रामायण, भगवद्गीता, वेद, पुराण
अभिनंदन उन पुरखों का जो ये जागीरें छोड़ गए

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ग़ज़ल- पाँच

पेड़ जो खोखले पुराने हैं
अब परिंदों के आशियाने हैं

और बाक़ी कई तराने हैं
जो तेरे साथ गुनगुनाने हैं

क़र्ज़ कल के चुका रहा हूं आज
आज के क़र्ज़ कल चुकाने हैं

इश्क़ है तिश्नगी का एक पड़ाव
उससे आगे शराबख़ाने हैं

ज़िंदगी और थोड़ी मोहलत दे
तेरे अहसान भी चुकाने हैं

आंसुओ! आज तो ठहर जाओ
आज कुछ क़हक़हे लगाने हैं

ज़िंदगी तेरे पास क्या है बता
मौत के पास तो बहाने हैं

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2 Total Review

मधु प्रधान

13 June 2025

लाजवाब ग़ज़लें

वसंत जमशेदपुरी

26 May 2025

शानदार गजलें

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रचनाकार परिचय

कृष्ण कुमार 'नाज़ '

ईमेल : kknaaz1@gmail.com

निवास : मोरदाबद (उत्तर प्रदेश)

नाम- डॉ० कृष्णकुमार ‘नाज़’
जन्मतिथि-  10 जनवरी, 1961
जन्मस्थान- ग्राम कूरी रवाना, ज़िला मुरादाबाद (उ.प्र.)
शिक्षा- एम.ए. (समाजशास्त्र, उर्दू व हिंदी), बी.एड., पी-एच.डी. (हिंदी)
संप्रति-  शासकीय सेवा से निवृत्त
प्रकाशित कृतियाँ-
1. इक्कीसवीं सदी के लिए (ग़ज़ल-संग्रह),1998
2. गुनगुनी धूप (ग़ज़ल-संग्रह), 2002 व 2010
3. मन की सतह पर (गीत-संग्रह), 2003
4. जीवन के परिदृश्य (नाटक-संग्रह), 2010
5. उगा है फिर नया सूरज (ग़ज़ल-संग्रह), 2013
6. हिन्दी ग़ज़ल और कृष्णबिहारी ‘नूर’, 2014
7. व्याकरण ग़ज़ल का (2016 व 2018)
8. नई हवाएँ (ग़ज़ल-संग्रह), 2018
9. साथ तुम्हारे (गीत-संग्रह), 2022
10. दिये से दिया जलाते हुए (ग़ज़ल-संग्रह), 2023 
11. प्रश्न शब्दों के नगर में (साक्षात्कार-संग्रह), 2023
12. क़ाफ़िया (नए दृष्टिकोण के साथ तुकांत का प्रयोग) 2023
संपादन-
1. दोहों की चैपाल (2010), वाणी प्रकाशन
2. रंग-रंग के फूल (2019), किताबगंज प्रकाशन
3. नवगीत-मंथन (2019), किताबगंज प्रकाशन
4. बालगीत-मंथन (2019), किताबगंज प्रकाशन
5. दर्द अभी सोये हैं : डा. अजय अनुपम के गीत (2022)
प्रसारण-
दूरदर्शन और रेडियो स्टेशन से समय समय पर प्रसारण।
विशेष-
1. विभिन्न गायकों द्वारा गीत व ग़ज़लें स्वरबद्ध।
2. बरेली की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘निर्झरिणी’ द्वारा 'वरिष्ठ ग़ज़लकार डा. कृष्णकुमार नाज़ पर केन्द्रित अंक-12’ का प्रकाशन, जनवरी 2018, संपादक हरिशंकर सक्सेना।
3.  शाहजहांपुर के युवाकवि पीयूष शर्मा द्वारा लिखित पुस्तक 'डा. कृष्णकुमार नाज़ की काव्य-चेतना' का वर्ष 2024 में प्रकाशन।
सम्मान- शताधिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित।
पुरस्कार- राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान उ.प्र. लखनऊ द्वारा 51000/- की सम्मान-राशि सहित डा. शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ पुरस्कार, वर्ष 2013-14 से पुरस्कृत।
संपर्क- 9/3, लक्ष्मीविहार, हिमगिरि कालोनी, काँठ रोड, मुरादाबाद-244105 (उ.प्र).
मोबाइल-  9273-76877, 98083-15744