Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
प्रतिमा श्रीवास्तव की कहानी 'ज़िन्दगी ख़ूबसूरत है'

देह और मन की याददाश्त होती है, उससे कभी भी मुक्त नहीं हुआ जा सकता, अगर देवयानी उस देह-गंध के साथ जिये तो स्मृतियाँ उसे जीने नहीं देंगी, जबकि 'अब' जीना बहुत ज़रूरी था। 

अमरीक सिंह दीप की कहानी 'हरम'

"ये फटेहाल बदहवास मुफ़लिस लोग और हरम? अच्छा मज़ाक कर लेते हो तुम।"
"मज़ाक नहीं हुज़ूर, ये हक़ीक़त बयानी कर रहा हूँ मैं। इस वक़्त इस मुल्क पर अंग्रेजों की नहीं, इसी मुल्क में रहने वाले दौलतमंदों और सौदागरों की हुकूमत है। इन सरमायेदारों और सौदागरों का एक ही मज़हब हैं– दौलत। दौलत के लिए ये अपना दीन-ईमान ही नहीं, अपनी बीवी, बेटी, बहन यहाँ तक कि अपनी माँ को बेचने तक में गुरेज़ नहीं करते।"