Ira Web Patrika
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कानपुर का नवजागरण (भाग तीन)- पण्डित लक्ष्मीकांत त्रिपाठी

सन् 1900 का कानपुर अकाल से ग्रसित था। बेकारी, भूख और विदेशी शासन से लोग कराह उठे थे। इसी समय प्लेग की महामारी ने कानपुर पर अपना काला घेरा डाला। विप्लव के सभी उपादान उपस्थित थे, फलत: 11 अप्रैल 1900 को कानपुर में ऐतिहासिक प्लेग रायट आरम्भ हो गया।

कानपुर का नवजागरण भाग दो- प० लक्ष्मीकांत त्रिपाठी

कानपुर इतिहास समिति के प्रथम मंत्री पण्डित लक्ष्मीकान्त त्रिपाठी द्वारा कानपुर नवजागरण पर लिखित आलेख जो कि पूर्व में दैनिक जागरण में प्रकाशित हुआ था को हम धारावाहिक के रूप में प्रकाश्त करने जा रहे हैं, इसमें 1857 की क्रांति में कानपुर के योगदान का विस्तृत वर्णन है। यह आलेख हमें इतिहासकार अनूप शुक्ल जी के सौजन्य से प्राप्त हुआ है। 

कानपुर का नवजागरण भाग एक- प० लक्ष्मीकांत त्रिपाठी

कानपुर इतिहास समिति के प्रथम मंत्री पण्डित लक्ष्मीकान्त त्रिपाठी द्वारा कानपुर नवजागरण पर लिखित आलेख जो कि पूर्व में दैनिक जागरण में प्रकाशित हुआ था को हम धारावाहिक के रूप में प्रकाश्त करने जा रहे हैं, इसमें 1857 की क्रांति में कानपुर के योगदान का विस्तृत वर्णन है। यह आलेख हमें इतिहासकार अनूप शुक्ल जी के सौजन्य से प्राप्त हुआ है। 

रियासतकालीन जीवन के स्याह पक्षों को उजागर करता उपन्यास: गोली- के० पी० अनमोल

गोली एक रोचक और मार्मिक उपन्यास है। संभवत: हिंदी में इस विषय पर लिखी गयी यह पहली पुस्तक हो। रियासतों के ये गोले अर्थात् दास हरम में रखी जाने वाली महिलाओं से उत्पन्न राजा अथवा राजपुरुष ही की संतानें होती थीं, जिन्हें वैधानिक अधिकार नहीं दिए जाते थे लेकिन राज-परिवार उनके लालन-पालन और आजीविका की व्यवस्था करता था। इन गोले-गोलियों पर स्वामित्व राज-परिवार का रहता था और राज-परिवार उन्हें जैसे चाहे, प्रयोग में ले सकता था।