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कानपुर का नवजागरण भाग सात- प० लक्ष्मीकांत त्रिपाठी

कानपुर में सन् 1914 में प्रथम छात्र आन्दोलन राजकीय स्कूल के हेडमास्टर जे.एम. होल्ट के विरुद्ध हुआ था। कारण यह था कि परेड में उन दिनों पानी की टंकी बन रही थी, और स्कूल के लड़के मध्यावकाश में उसे देखने गए और वहाँ वे मिस्त्रियों से किसी बात पर लड़ बैठे, और अच्छी मारपीट हुई।

कानपुर का नवजागरण भाग छह- प० लक्ष्मीकांत त्रिपाठी

सन् 1913 मे बाबू नारायण प्रसाद अरोड़ा, प० शिवनारायण मिश्र वैद्य तथा प० यशोदानन्दन शुक्ल ने मिलकर साप्ताहिक प्रताप का प्रकाशन प्रारम्भ किया। श्री गणेशशंकर विद्यार्थी उन दिनो मालवीय जी द्वारा संचालित साप्ताहिक अभ्युदय के सम्पादक थे। वे सहर्ष 'प्रताप' के सम्पादक होकर कानपुर आ गए।

कानपुर का नवजागरण भाग पाँच- प० लक्ष्मीकांत त्रिपाठी

प० पृथ्वीनाथ चक के बाद बागडोर हिन्दी के महाकवि नगर के शीर्षस्थ वकील ओजस्वी वक्ता श्री राय देवीप्रसाद "पूर्ण" के सुदृढ़ हाथो मे आई, उन्होंने कानपुर का चतुर्दिक विकास किया। 'पूर्ण' जी ने कानपुर को जगाया।  

कानपुर का नवजागरण (भाग चार)- पण्डित लक्ष्मीकान्त त्रिपाठी  

16 अगस्त 1905 का दिन कानपुर ने बंगाल के एकीकरण के लिए विशेष रक्षाबंधन के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया। इस प्रकार जन आन्दोलन की पहली किरण कानपुर की भूमि में फूटी।