Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
मानवीय संवेदना एवं जिजीविषा का आईना : मुस्तरी बेगम- डॉ० पंकज साहा

मुस्तरी बेगम शशि कांडपाल जी का पहला कहानी संग्रह है, जिसमें चौदह कहानियाँ हैं। इस संग्रह में लेखिका ने 'अपनी बात' कहने की परंपरा से स्वयं को मुक्त कर लिया है। शायद उन्हें लगता होगा कि अपनी बात तो उनकी कहानियों में ही है या 'बात बोलेगी मैं नहीं' के तर्ज पर उन्होंने सोचा होगा कि जब कहानियाँ बोल ही रही हैं तो अलग से मैं क्या बोलूँ?

श्रुति अग्रवाल के अनूदित हिन्दी उपन्यास 'ज़ोरबा द ग्रीक'- गंगा शरण सिंह

"इस दुनिया में हर चीज के पीछे कोई छिपा हुआ अर्थ है। आदमी, जानवर, पेड़, सितारे सब चित्रलिपि हैं। उनके लिए दुःख होता है जो इनका अर्थ निकालने की कोशिश करते हैं और अनुमान लगाते हैं।"

"मानवीय जीवन की पीड़ा चरम पर आकर समाप्त हो जाती होगी। संगीत, कविता और पवित्र विचार सभी अपना जादू खो देते होंगे। दुनिया के आख़िरी व्यक्ति के लिए एकांत ही सर्वोपरि होगा। हर संगीत मूक और मौन!"

 

वंचित तबके की पीड़ा को शाश्वत काव्य स्वर प्रदान करता: किन्नर काव्य- संदीप मिश्र 'सरस'

महेंद्र भीष्म के उपन्यास किन्नर कथा के काव्य रूप किन्नर काव्य के रचयिता आशीष कुलश्रेष्ठ एक प्रभावशाली रचनाकार हैं। इस पुस्तक में पूरी रचनात्मकता के साथ उनके काव्य सौष्ठव की उपस्थिति हम सहज महसूस कर सकते हैं। वे इस बात के लिए बधाई के पात्र हैं कि उन्होंने वंचित तबके की पीड़ा को शाश्वत काव्य स्वर प्रदान किया है। समाज के अस्पृश्य वर्ग के निजी जीवन में झांकने का साहस किया है।

झरने की तरह फूटते संवेदना के गीत: जलता रहे दीया- रीता त्रिवेदी

जीवन-जगत और परिवेश के अनेक रंगों में रँगे हुए इस संग्रह में कविता, गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, हास्य-व्यंग्य और बालगीत समाहित हैं। कवि की अनुभूतियों का संसार विस्तृत है, जिसमें एक ओर वैयक्तिक राग-अनुराग के स्वर हैं तो दूसरी ओर सामाजिक, सांस्कृतिक अनुषंग भी है। उनके गीतों में प्रकृति के लोक-रंग हैं तो ऋतु, पर्व, उत्सव और लोकजीवन के विविध क्षेत्रों का रसमय जीवन भी चित्रित हुआ है। संग्रह की कोई भी कविता सायास प्रतीत नहीं होती, वे तो झरने की तरह चट्टान तोड़कर निकली हुई प्रतीत होती हैं।