Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
बोल जमूरे! बोल के बहाने अपने समय की पड़ताल- डॉ० लवलेश दत्त

पुस्तक में जनक छंद में निबद्ध छोटी-छोटी कविताएँ, जो कहीं कटाक्ष करती हैं, कहीं हमारी व्यवस्था पर प्रहार करती हैं, कहीं गुदगुदाती हैं तो कहीं आँखों को नम भी कर देती हैं।

सादगी के साथ अपने दौर के अनुभवों और भावनाओं का शेरों में बयान: आसमां तू ही बता- अशोक रावत

ऐसे बहुत कम ग़ज़ल संग्रह हाथ में आते हैं जिनको एक बार पढ़ना शुरू करने के बाद उसे पढ़ते जाने का मन करे। मक़सूद अनवर साहब की  ग़ज़लों में खास बात जिसने मुझे प्रभावित किया वह है बड़ी सादगी के साथ उनका अपने दौर के अनुभवों  और भावनाओं को शेरों में बयान करते जाना. शायर शेर में अपने नज़रिये से किसी बात को कहता है लेकिन उसके अर्थ कहाँ  तक जाते हैं इसकी कोई सीमा नहीं है।