Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
आधुनिक संस्कृत समीक्षा का नया स्वर- डॉ० कौशल तिवारी

प्रस्तुत ग्रन्थ में अर्वाचीन संस्कृत साहित्य पर समय-समय पर डॉ० अरुण कुमार निषाद द्वारा लिखित 25 आलेखों का संकलन करके एक साथ प्रकाशित करवाया जा रहा है, जो निश्चित ही प्रशंसनीय है।

काव्यात्मकता के साथ संचित अनुभव व अनुभूतियाँ : कुछ सुना, अनसुना-सा- डॉ० सुरेश अवस्थी

पुस्तक- कुछ सुना, अनसुना-सा
रचनाकार- डॉ० कामायनी शर्मा
विधा- कविता
प्रकाशन- इरा पब्लिशर्स, कानपुर

यथार्थ बोध की स्वाभाविक निर्मिति है : पीठ पर टिका घर- रमेश प्रसून

लेखिका ने अपनी इन लघुकथाओं में अति विद्वतापूर्ण, अतिरंजित व्यन्जनाओं और अनावश्यक काल्पनिक उद्भावनाओं से बचकर अपनी बातें अति सहज और सरल तरीके से कह दी हैं। पीठ पर टिका घर एक पारिवारिक एवं सामाजिक रूपताओं और विद्रूपताओं के सत्य को उद्घाटित करने वाला 'कथा-गुच्छ' है, जो सहज पठनीय एवं अति प्रशंसनीय है।

एक महत्वपूर्ण शोध-ग्रन्थ : सुभद्राकुमारी चौहान के साहित्य में संवेदना और शिल्प- डॉ० राकेश शुक्ल

सुभद्राकुमारी चौहान के साहित्य में संवेदना और शिल्प डॉ० कामायनी शर्मा का एक शोध-समीक्षा ग्रन्थ है, जिसमें उन्होंने अध्यवसायपूर्वक सुभद्रा जी के समग्र कृतित्व का मूल्यांकन किया है। कामायनी जी ने विवेच्य रचनाकार की पारिवारिक पृष्ठभूमि, उनके व्यक्तित्व की निर्मिति तथा उनके सामाजिक, राजनीतिक सरोकारों के साथ लेखकीय व्यक्तित्व पर भी विस्तार से प्रकाश डाला है।