Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
आधुनिक सरोकारों से सराबोर: अक्षर-अक्षर हव्य- सत्यम भारती

अक्षर-अक्षर हव्य का भाव पक्ष अत्यंत सबल, सुदृढ़ एवं अर्थप्रबल है। भाषा के सौंदर्य की बात अगर करें तो आमजन की भाषा में गृहस्थ के शब्दों का छौंक डाला गया है, जो इसे पाठकों के काफी क़रीब ले जाता है। भाषा, शब्द एवं कला में हमें सादगी देखने के लिए मिलती है, जो क़ाबिले-तारीफ है।

ज़िंदगी का कोलाज :  निस्यन्दिनी- डॉ० अरुण कुमार निषाद

प्रो० जनार्दन पाण्डेय ‘मणि’ केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय गंगानाथ झा परिसर प्रयागराज में संस्कृत के प्रोफेसर एवं साहित्य विभाग के विभागाध्यक्ष हैं। निस्यन्दिनी गीत संग्रह में उन्होंने पल-प्रतिपल अपने अन्त:करण में उभरे मनोभावों को चित्रमयी शब्दों में पिरोया है।

ज़िंदगी के सच्चे अफ़साने- डॉ० राकेश शुक्ल

जया राजपूत की कहानियाँ ऐसी ही हैं, जिनमें ज़िंदगी के सच्चे अफ़साने हैं --बिल्कुल सच्चे। झूठ कुछ भी नहीं। वैसे भी कहानियाँ झूठी नहीं होतीं। उतनी ही तिक्त- मधुर, नर्म और कठोर, जितना हमारा जीवन।

ये मोहब्बत की सायबानी है- डॉ० साकेत रंजन प्रवीर

फ़लसफ़ी  शायर मंचों से और मुशायरे लूटनेवाले शायर किताबों और रिसालों से मुसलसल ग़ायब होते चले गए। दर'अस्ल आज ऐसे गिनती के शो'अरा हैं जो मंच पर होते हुए भी अदब  को उसके हिस्से का हक़ देते हैं। इन्हीं चन्द शो'अरा और शायरात से ग़ज़ल के मुस्तक़बिल की उम्मीद बची है। नई नस्ल में ऐसे शो'अरा/शायरात की सफ़ में एक मख़सूस नाम चाँदनी पाण्डेय का है।