Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
सपना चंद्रा की काविताएँ

दिन के उजाले से
सारी रश्मियों को
भरकर अपने भीतर
समेटे हुए
वह भूल गई
कि उसे खो जाना है

अनामिका प्रिय की कहानी- नायक

अगर ईश्वर पर भरोसा है तो ठीक है। वैसे किसी व्यक्ति पर एक बार तो भरोसा किया ही जा सकता है और क्या मैं इस काबिल नहीं हूँ।  मुझे तुम्हारे जवाब का इंतजार रहेगा। बहुत परेशान सी हो गयी थी वह। कहा था-  हद है, तुम कुछ नहीं समझते। प्लीज यह सब अब दुबारा मत कहना।

 

डॉ० मीनू अग्रवाल की कविताएं

चेहरे पर उभरी ये नक़्काशी
ही तो करती है बखान 
चरित्र की महिमा का  
और उनके मध्य उठती
स्निग्घ मुस्कान की सरल रेखा
अदा कर रही है शुक्रिया 
प्रकृति की हज़ार नेमतों का भी!!

ऋत्विक रंग की दो ग़ज़लें

हर कोई पूछता है सबब इस उदासी का
किससे कहें कि तेरे लिए हम उदास हैं