Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
युग संदर्भ के चेतनागत धरातल पर तबस्सुम जहां का साहित्य सृजन- डॉ० अल्पना सुहासिनी

तबस्सुम जहां ने समाज के तक़रीबन हरेक विषय पर अपनी लेखनी चलाई है। स्त्री जीवन की विसंगतियों पर केंद्रित लघुकथा 'मुक्ति', दांपत्य जीवन पर कटाक्ष करती लघुकथा 'लक़ीर बनाम लकीर' विशेष उल्लेखनीय हैं। इसके अलावा नौकरी के लिए मौजूदा साक्षत्कार प्रक्रिया की खामियों को उजागर करती इनकी छोटी कहानी 'भूसे की सुई' विदेशी पत्रिका का हिस्सा बन चुकी है।

निराला की हिंदी ग़ज़लों का तेवर और स्वर- ज़ियाउर रहमान जाफ़री

निराला ने ग़ज़लें प्रयोग के तौर पर लिखी थीं। उन्होंने ग़ज़लें लिखकर एक प्रकार से ग़ज़ल को हिंदी कविता में लाने का प्रयास किया। निराला के पूर्व के ग़ज़लकारों और निराला की ग़ज़लों में एक अंतर साफ़ है कि पंडित निराला की ग़ज़लों में हिंदी का जातीय संस्कार झलकता है।

मैं अखिल विश्व का गुरू महान : अटल बिहारी वाजपेयी- डॉ० अमित कुमार मिश्रा

किसी भी चीज़ को देखने का अटल जी का अपना एक अलग ही नज़रिया था। भारत को वे मात्र एक ज़मीन का टुकड़ा नहीं मानते थे। उनका मानना था कि भारत मानवीयता का एक उच्च आदर्श है। यहाँ अनेक संस्कृतियों, भाषा, जाति, धर्म, रंग-रूप आदि के माध्यम से अखंडता में एकता का एक ऐसा संदेश प्रतिध्वनित होता है, जिससे विश्व अभिभूत है। भारत के इन्हीं सब गुणों के कारण उसे विश्वगुरु की उपाधि दी गई है।

‘यमदीप’ उपन्यास की भाषागत विशिष्टताओं का अध्ययन- डॉ० नितिन सेठी

किन्नर विमर्श पर आधारित यमदीप, स्पष्ट है कि किन्नरों के जीवन को सामने लाता है। उल्लेखनीय है कि हिजड़ों का जीवन एक ऐसा रहस्यमयी संसार है, जो सामान्य जनजीवन के सामने सहजता और सरलता से नहीं खुलता। इसके अपने अनसुलझे और अनछुए से तथ्य हैं, जो सामान्य व्यक्ति के सामने जल्दी नहीं आते।