Ira Web Patrika
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निराला की हिंदी ग़ज़लों का तेवर और स्वर- ज़ियाउर रहमान जाफ़री

निराला ने ग़ज़लें प्रयोग के तौर पर लिखी थीं। उन्होंने ग़ज़लें लिखकर एक प्रकार से ग़ज़ल को हिंदी कविता में लाने का प्रयास किया। निराला के पूर्व के ग़ज़लकारों और निराला की ग़ज़लों में एक अंतर साफ़ है कि पंडित निराला की ग़ज़लों में हिंदी का जातीय संस्कार झलकता है।

मैं अखिल विश्व का गुरू महान : अटल बिहारी वाजपेयी- डॉ० अमित कुमार मिश्रा

किसी भी चीज़ को देखने का अटल जी का अपना एक अलग ही नज़रिया था। भारत को वे मात्र एक ज़मीन का टुकड़ा नहीं मानते थे। उनका मानना था कि भारत मानवीयता का एक उच्च आदर्श है। यहाँ अनेक संस्कृतियों, भाषा, जाति, धर्म, रंग-रूप आदि के माध्यम से अखंडता में एकता का एक ऐसा संदेश प्रतिध्वनित होता है, जिससे विश्व अभिभूत है। भारत के इन्हीं सब गुणों के कारण उसे विश्वगुरु की उपाधि दी गई है।

‘यमदीप’ उपन्यास की भाषागत विशिष्टताओं का अध्ययन- डॉ० नितिन सेठी

किन्नर विमर्श पर आधारित यमदीप, स्पष्ट है कि किन्नरों के जीवन को सामने लाता है। उल्लेखनीय है कि हिजड़ों का जीवन एक ऐसा रहस्यमयी संसार है, जो सामान्य जनजीवन के सामने सहजता और सरलता से नहीं खुलता। इसके अपने अनसुलझे और अनछुए से तथ्य हैं, जो सामान्य व्यक्ति के सामने जल्दी नहीं आते।

समकालीन कवियों की आलोचना- डॉ० राकेश शुक्ल

आठ कवि-समीक्षकों की एक-एक समीक्षा कृति पर संक्षिप्त टिप्पणी