Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
दिनकर की बाल कविताओं का माधुर्य- डॉ० ज़ियाउर रहमान जाफरी

बाल काव्य विषयक दिनकर की दो पुस्तकें हैं- एक 'मिर्च का मज़ा' और दूसरी 'सूरज का ब्याह'। कहना न होगा कि अन्य साहित्य की तरह दिनकर बाल साहित्य भी प्रभावी ढंग से लिखते हैं।

हिंदी की महिला ग़ज़लकारों के महिला दृष्टिकोण के शेर- के० पी० अनमोल

जीवन के ये तमाम तरह के अनुभव अब जब ग़ज़लों के माध्यम से शेरों में ढलकर आते हैं, तो दुनिया को समझने की एक अलग ही खिड़की खोलते हैं। इस प्रकार की अभिव्यक्ति न केवल महिला पाठकों के लिए मार्गदर्शक हो सकती है बल्कि पुरुष पाठक भी इन शेरों की गहराई तक पहुँचकर एक अलग तरह का अनुभव प्राप्त कर सकते हैं। साहित्य जीवन का ही प्रतिबिंब माना जाता रहा है फिर जीवन के किसी विशेष पहलु को अभिव्यक्त होने में कैसी झिझक!

भारत और आयरलैंड में हिंदी भाषा के समक्ष चुनौतियाँ और अवसर- प्रशांत शुक्ल

प्रशांत शुक्ल बाईस वर्षों से आयरलैंड में रहते हुए भारतीय भाषा एव संस्कृति के संवर्धन में योगदान कर रहे हैं। हिंदी दिवस पर हिंदी के प्रचार एवं प्रसार पर आपका अत्यंत महत्वपूर्ण आलेख पढ़िए। 

इक्कीसवीं सदी की ग़ज़लें और भारतीय आदर्श- डॉ० सीमा विजयवर्गीय

वेदों से लेकर आज तक की परंपरा बहुत समृद्धशाली है, आदर्शमयी है, अनुकरणीय है, वसुधैव कुटुम्बकम का पाठ पढ़ाने वाली है, ख़ुद जीओ-जीने दो के आदर्श पर चलने वाली है, जो आज भी पूर्णतः सामयिक है। इतनी उदारमयी संस्कृति के पुरोधाओं को शत-शत नमन करते हैं। चूँकि साहित्य समाज का दर्पण है इसलिए शायरी में भी भारतीय संस्कृति, भारतीय आदर्शों का बहुत ख़ूबसूरती के साथ प्रयोग हुआ है।