बचपन की चोरी- अंजू केशव
गर्मियों में जब पूरा परिवार दोपहर की नींद का मजा ले रहा होता तो माँ के बनाए हुए अचार चुरा कर खाना प्रिय शगल था। क्या आनंद था उसमें आहाहा! भुलाए नहीं भूलता। एक बार तो इस चोरी के चक्कर में, नए बने अचार की पूरी की पूरी बरनी ही ऊँचाई से गिरा कर तोड़ दी और बरनी के साथ अचार का भी सत्यानाश कर दिया।