Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
जनवादी अनन्य नैष्ठिक कलमकार 'कमल किशोर श्रमिक' से- अरुण तिवारी

आमतौर पर जनवादी लघु पत्रिकायें अधिक समय तक नहीं टिक पातीं,क्योंकि हर समय वह अर्थ संकट से गुजरती हैं ।सरकारी पत्रिकाओं /पोषित पत्रिकाओं में छपने वाले लेखकों की भीड़ लगी रहती है ।अपने मूल्यों पर ही लिखकर इन पत्रिकाओं में भी कई बार लिख चुका हूं ,शायद पैसा पाने के लालच में या छपास के क्रम में ।लेकिन यह लघु पत्रिकाएं जो बहुत थोड़ी संख्या में छपती हैं पोषित पत्रिकाओं के बरक्स अधिक ईमानदार होती हैं।

हिंदी ग़ज़ल विचार युग की ग़ज़ल है- डॉ० भावना

हिंदी की समकालीन महिला ग़ज़लकारों में डॉ० भावना का महत्वपूर्ण स्थान है। ग़ज़ल लेखन के साथ-साथ ग़ज़ल पर आलोचनात्मक काम भी ये बराबर करती रही हैं। अनेक महत्त्वपूर्ण आलोचना ग्रन्थों और समवेत संकलनों में आपकी उपस्थिति रही है। इनकी रचनाएँ पाठ्यक्रम का हिस्सा भी रही हैं। प्रस्तुत है डॉ० भावना से शोध-छात्रा आरती देवी की बातचीत।

लेखकों को नई ऊर्जा के साथ नए प्रतिमान स्थापित करने की अवश्यकता है- संदीप तोमर

संदीप तोमर देश की राजधानी दिल्ली में रहकर साहित्य सेवा कर रहे हैं। मूल रूप से वे उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फ़रनगर ज़िले के एक गाँव- गंगधाड़ी से ताल्लुक रखते हैं। लम्बे समय से लेखन से जुडे रहे हैं। साहित्य की विभिन्न विधाओं पर अध्ययन और लेखन उन्हें विशिष्ट पहचान देता है। लघुकथा, कहानी, उपन्यास, कविता, नज़्म, संस्मरण इत्यादि विधाओं पर उन्होंने अपनी क़लम चलाई है। वर्तमान में हिंदी उपन्यासों से उन्होंने साहित्य में एक अलग पहचान बनायी है। हाल ही में संदीप तोमर जी से शिक्षिका और कवयित्री सुमन युगल की लेखन पर विस्तृत बातचीत हुई, जिसमें श्री तोमर ने बेबाकी से अपनी ईमानदार राय रखी। प्रस्तुत है उनके साथ हुई बातचीत के अंश।

कम शब्दों में बात कहने की आदत ने ग़ज़ल कहने की ओर अग्रसर किया: ऋषिपाल धीमान

अपनी ग़ज़लों में यथार्थपरकता तथा पारंपरिकता का अच्छा संगम करने वाले, लोक सम्पृक्त रचनाधर्मिता के साथ हिन्दी की ग़ज़लों को सँवारने वाले प्रतिष्ठित ग़ज़लकार ऋषिपाल धीमान जी से के० पी० अनमोल की एक बातचीत आप सभी पाठकों के लिए प्रस्तुत है। धीमान जी माधोपुर (रुड़की) की उपज हैं तथा अहमदाबाद (गुजरात) में व्यवस्थित हैं। इनके अब तक कुल 5 ग़ज़ल संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं तथा ये हिन्दी साहित्य अकादमी, गुजरात से सम्मानित भी हो चुके हैं।