Ira Web Patrika
इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।
वीणा शर्मा वशिष्ठ की क्षणिकाएँ

हर मन की क्यारी में
बैर पनप रहा
क्यों न...
प्रेम की खाद डाल
माटी थपथपा दें...
नेह के
पुष्प खिला दें।

संध्या यादव की क्षणिकाएँ

दुल्हन बनने की चाह में
एक दुल्हन ने उम्र गुज़ार दी
रंग-बिरंगे कपड़ों में विधवा रह कर

शिव डोयले की क्षणिकाएँ

हम प्लेटफार्म बने
खड़े रहे,
और समय
रूमाल हिलाता
गुज़र गया।
 

चक्रधर शुक्ल की क्षणिकाएँ

आतिशबाज़ी में
प्रदूषण का ग्राफ़ बढ़ा,
दिल के रोगियों को बेचैनी
हाइपरटेंशन वालों का
पारा चढ़ा।