Ira Web Patrika
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चेतना का बहुआयामी स्वर- अलका मिश्रा

शायद इसी का नाम ज़िन्दगी है, ये कभी भी एक जैसी नहीं रहती नित नये स्वांग रचाती है, कभी हँसाती है तो कभी आँखों में पानी ले आती है। इसीलिए ज़िन्दगी के प्रति हमारा भी रवैया ऐसा ही होना चाहिए कि हर पल को ज़िन्दादिली से जिया जाये, यदि रास्ते में दुःख आये भी तो दो घड़ी ठहर कर फिर सफ़र पर आगे बढ़ा जाये क्योंकि वक़्त बहुत कम है और करने को बहुत कुछ।