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ग़ज़ल संग्रह 'अधूरा ही रहा मोहन' का लोकार्पण

ग़ज़ल संग्रह 'अधूरा ही रहा मोहन' का लोकार्पण

नवसृजन साहित्यिक संस्था, रुड़की (उत्तराखण्ड) द्वारा प्रतिवर्ष किसी एक साहित्यकार को सृजन शिल्पी सम्मान दिया जाता है तथा इस वर्ष का यह सम्मान नक़द राशि सहित दिल्ली से पधारे सुप्रसिद्ध शायर श्री दीक्षित दनकौरी को दिया गया।

09 फरवरी 2025 को रुड़की (उत्तराखण्ड) की साहित्यिक संस्था 'नवसृजन' के वार्षिकोत्सव पर रामनगर चौक, रुड़की स्थित एक होटल में हर्षोल्लास के साथ शहर के वरिष्ठ साहित्यकार सुरेन्द्र कुमार सैनी जी के नव प्रकाशित ग़ज़ल संग्रह अधूरा ही रहा मोहन का लोकार्पण किया गया। समारोह की अध्यक्षता नव सृजन साहित्यिक संस्था के वरिष्ठ संरक्षक एवं सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री सुबोध पुंडीर 'सरित्' ने की। मंच पर उनके साथ मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृत शिक्षा विभाग, उत्तराखंड के निदेशक डाॅ० आनंद भारद्वाज, दिल्ली से आमंत्रित सुप्रसिद्ध कवि श्री दीक्षित दनकौरी, संस्था की अध्यक्ष डाॅ० शालिनी जोशी पंत, शहर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार श्री कृष्ण सुकुमार, वरिष्ठ पत्रकार एवं साहित्यकार डॉ० श्री गोपाल नारसन तथा पुस्तक के रचनाकार सुरेन्द्र कुमार सैनी स्वयं उपस्थित रहे।

कार्यक्रम का बहुत ही सुंदर एवं प्रभावी संचालन संस्था के कोषाध्यक्ष एवं नवोदित शायर श्री पंकज त्यागी 'असीम' ने किया। सर्वप्रथम सभी मंचासीन अतिथिगण का बैज लगाकर तथा माला पहनाकर स्वागत किया गया, तदोपरांत माॅं सरस्वती जी के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया। सरस्वती वंदना अपने मधुर कंठ से नगर के साहित्य प्रेमी श्री अनिल वर्मा 'अमरोहवी' ने प्रस्तुत की। इसके बाद नवसृजन साहित्यिक संस्था का संक्षिप्त परिचय संस्था के महासचिव श्री किसलय क्रांतिकारी द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसके उपरांत ग़ज़ल संग्रह 'अधूरा ही रहा मोहन' के रचनाकार श्री सुरेंद्र कुमार सैनी जीवन परिचय नगर के सुप्रसिद्ध साहित्यकार एवं कवि डॉ० घनश्याम 'बादल' द्वारा प्रस्तुत किया गया। लेखक परिचय के बाद ग़ज़ल संग्रह 'अधूरा ही रहा मोहन' का विधिवत लोकार्पण किया गया।

लोकार्पण के बाद पुस्तक परिचय नगर के सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार श्री कृष्ण सुकुमार के द्वारा दिया गया। नवसृजन साहित्यिक संस्था द्वारा प्रतिवर्ष किसी एक साहित्यकार को 'सृजन शिल्पी' सम्मान दिया जाता है तथा इस वर्ष का 'सृजन शिल्पी' सम्मान नकद राशि सहित दिल्ली से पधारे सुप्रसिद्ध शायर श्री दीक्षित दनकौरी को दिया गया। इसके बाद कविताओं का दौर चला, जिसमें नगर के प्रसिद्ध कवि श्री पंकज गर्ग द्वारा प्रस्तुत ग़ज़ल को पूरे सदन की सराहना प्राप्त हुई।डॉ० घनश्याम बादल द्वारा प्रस्तुत कविता एवं मुक्तक को भी लोगों ने काफी पसंद किया। सहारनपुर से विशेष रूप से आमंत्रित कवि डॉ० विजेंद्र पाल शर्मा तथा श्री विनोद भृंग की कविताओं, ग़ज़लों एवं मुक्तकों का लोगों ने तालियाँ बजाकर स्वागत किया। श्री कृष्ण सुकुमार की ग़ज़लों ने यह सिद्ध किया कि ग़ज़लों का स्तर कितना ऊंचा हो सकता है। श्री सुरेंद्र कुमार सैनी की ग़ज़ल 'तुम्हारा प्यार भी देखो अधूरा ही रहा मोहन' को लोगों ने बहुत सराहा। डॉ० श्री गोपाल नारसन ने अपने संबोधन में ग़ज़ल संग्रह के प्रकाशन पर लेखक श्री सुरेंद्र कुमार सैनी को बधाई दी तथा अपने कविता पाठ से सब का मन जीत लिया। डॉ० शालिनी जोशी पंत तथा डॉ० आनंद भारद्वाज की कविताओं का भी उपस्थित लोगों ने भरपूर आनंद लिया। डॉ० शालिनी जोशी पंत ने आशा प्रकट की कि 'नवसृजन' साहित्यिक संस्था भविष्य में भी साहित्यिक गतिविधियों के साथ-साथ सामाजिक गतिविधियों में भी अपना सहयोग देती रहेगी।

कार्यक्रम का विशेष आकर्षण दिल्ली से पधारे सुप्रसिद्ध कवि श्री दीक्षित दनकौरी द्वारा अपनी ग़ज़लों का प्रस्तुतीकरण रहा। उनकी सभी ग़ज़लें न केवल ग़ज़लियत की दृष्टि से शानदार थीं बल्कि उन्होंने उन ग़ज़लों को तरन्नुम में पढ़कर वास्तव में सभी को मंत्रमुग्ध-सा कर दिया। कार्यक्रम में सर्वश्री विनीत भारद्वाज, गोपाल शर्मा, सो सिंह सैनी, नवीन शरण निश्चल, हरिप्रकाश शर्मा 'ख़ामोश' एवं रामकुमार सैनी ने भी अपना प्रभावी काव्य पाठ प्रस्तुत किया और सदन की वाही-वाही प्राप्त की। श्री पंकज त्यागी 'असीम' ने भी अपनी एक उत्कृष्ट ग़ज़ल प्रस्तुत कर सबका मन जीत लिया। कार्यक्रम के अंत में अध्यक्ष श्री सुबोध पुंडीर 'सरित्' ने सभी आगंतुकों का धन्यवाद ज्ञापन किया तथा अपनी ओज की कविताओं से पूरे माहौल को देशभक्ति के रस में सराबोर कर दिया। कार्यक्रम में सर्वश्री उदयवीर सिंह, श्याम कुमार त्यागी, श्रीमती शाहिदा शेख, श्रीमती रश्मि त्यागी, श्रीमती प्रियंका सैनी, श्रीमती दीपिका सैनी, रणवीर सिंह रावत, प्रदीप सैनी एडवोकेट, डॉ० संजीव सैनी, शशांक कुमार सैनी, श्रीमती निमिता शर्मा, श्रीमती कमलेश सैनी ,श्री राजीव सैनी, श्रीमती शालिनी देवी, श्रीमती पूजा सैनी, रतन लाल तथा देवांश सहित नगर के अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।

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