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इरा मासिक वेब पत्रिका पर आपका हार्दिक अभिनन्दन है। फ़रवरी 2025 के प्रेम विशेषांक पर आपकी प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा रहेगी।

हरिंदर राणावत की कविताएँ

हरिंदर राणावत की कविताएँ

तुम्हारे प्यार ने मुझे बहुत-सी चीज़ों के मतलब समझाए हैं

एक- अभियुक्त

अपने मामले की पैरवी के लिए
नहीं है मेरे पास कोई नामी-गिरामी वकील

इतना जानता हूँ तुमसे प्यार है
नहीं चाहता
तुम मेरे प्यार के जवाब में कुछ कहो, कुछ करो

इतना चाहता हूँ
तुम मेरे प्यार का संज्ञान तो लो

एक सुनवाई के लिए हामी भर दो
साक्ष्यों को पेश तो होने दो
सबूतों पर एक नज़र तो डालो

और जब फैसले का वक्त आए
तो भले ही
देती रहो
तारीख़ पे तारीख़

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दो- प्यार में

तुम्हारी मुहब्बत थी वो
जिसने मुझे बहुत-सी चीज़ों के मतलब समझाए

शाम को सीढ़ियों पर चुपचाप खड़े होने का मतलब
फैज़, अमृता प्रीतम और अफ़ज़ाल अहमद की कविताओं का मतलब
शाम घिर आने का मतलब

तुम्हारा ऊँची आवाज़ में अपने पापा को कहना
कि तुम भी चाय पीओगी
सीढ़ियों से आती तुम्हारी आवाज़

कुछ ऊँची आवाज़ में बात करतीं तुम
ताकि मैं सुन लूँ, जो तुम चाहती हो

कि मैं सुनूं
दीपा भाभी से कहती हुईं कि मुझे रब को भी मुँह दिखाना है मर के
कि तुम पिता और भाई से लिए सारे पैसे लौटा दोगी

मैं सुनता हूँ तुम्हारी रुंआसी आवाज़
और मुझे तब समझ में आता है
सीढ़ियों पर तुम्हारा शाम को चुपचाप खड़े होने का मतलब

तुम्हारे प्यार ने मुझे बहुत-सी चीज़ों के मतलब समझाए हैं
संगीत का मतलब और ज़िंदगी का बहुत-सा हिस्सा
लालसाओं, वहशतों के बगैर
सिर्फ
प्यार में गुज़ार लेने का मतलब

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4 Total Review
S

Sudha Terii

19 February 2025

हरिंदर राणावत जी आपकी दोनों कविताओं में प्रेम की अभिव्यक्ति, अति उत्तम, दिल को छू लेने वाली है। कुछ मंजर आंखों से ओझल नहीं होते, यह भी सत्य है। आपकी कविता में नारी मन की झुंझलाहट और प्रेम का समावेश है। बधाई।

N

NK

17 February 2025

प्रेम की बेहद सुन्दर अभिव्यक्ति.

राजीव रंजन तिवारी

17 February 2025

शानदार सर। गजब। बांध दिया है अपने। पूरा पढ़ें बगैर मन नहीं भरा। शानदार भावाभिव्यक्ति। सुपर।

गायत्री सिंह

15 February 2025

राणावत जी बहुत सुंदर कविताएं लिखी हैं आपने प्रेम की परिभाषा अनंत है इसको शब्दों में बांधना मुश्किल है लेकिन आपने इतनी सुंदर सरल तरीके से इस भाव को अपने तरीके से व्यक्त किया है बधाई

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रचनाकार परिचय

हरिंदर राणावत

ईमेल : harinder.ranawat@gmail.com

निवास : ग़ाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश)

संप्रति- 'जनसत्ता' में मुख्य उपसंपादक
प्रकाशन- कविता संकलन 'यह ऐसा समय है' और 'क्या संबंध था सड़क का उड़ान से' में कविताएँ संकलित।
पहल, उत्तर प्रदेश, बया, पल-प्रतिपल, जनपथ, कथाक्रम,परिंदे, दैनिक भास्कर व जनसत्ता सहित पत्र-पत्रिकाओं में कविताएँ, लेख व समीक्षाएँ प्रकाशित।
'पर्यावरण' पर पंजाब विश्वविद्यालय प्रकाशन ब्यूरो की पुस्तक का अनुवाद।
अन्य गतिविधियाँ- चंडीगढ़ में 'एक सपने की मौत', 'मत्स्यगंधा', 'आधे अधूरे', 'पैर तले की जमीन' आदि नाटकों का मंचन।
छाया चित्रकारी में रुचि। कई फोटो प्रकाशित।
पता- जनसत्ता अपार्टमेंट, फ्लैट नंबर डी०- 003, सैक्टर 9, वसुंधरा, ग़ाज़ियाबाद (उत्तरप्रदेश)- 201012
मोबाइल- 9891082458