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सत्य पी० गंगानगर की ग़ज़लें

सत्य पी० गंगानगर की ग़ज़लें

अब कभी मिलना हुआ मुमकिन अगर
होंठ रक्खूँगा तुम्हारे पाँव पर


ग़ज़ल- एक 

हर तरफ़ ये जो ढलती हुई शाम है
तेरी ज़ुल्फ़ों से महकी हुई शाम है

मेरे पहलू में आकर ज़रा बैठ जा
आज फिर ये गुलाबी हुई शाम है

इस उदासी का कोई सबब तो बता
किसलिए इतनी बिखरी हुई शाम है

दिन सितम्बर के हैं ये शरारत भरे
शोखियों में भी डूबी हुई शाम है

देख के धूप तुझको पिघलने लगी
जैसे गंगा नहाई हुई शाम है

छू लिया था कभी आपको, आज तक
मेरे हाथों में जलती हुई शाम है

ज़ेह्न पर याद का अब्र फिर छा गया
फिर से अश्कों में भीगी हुई शाम है

डूब जाता है सूरज तेरी आँख में
तेरी पलकों पे ठहरी हुई शाम है

आज दिन भर मुझे याद आती रही
आज फिर 'सत्य' बहकी हुई शाम है

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ग़ज़ल- दो 

अब कभी मिलना हुआ मुमकिन अगर
होंठ रक्खूँगा तुम्हारे पाँव पर

मैं हूँ दफ्तर में कई हफ़्तों से गुम
मैं नहीं मुझ-सा कोई जाता है घर

फूल से कोमल तुम्हारे पाँव हैं
और उस पर इश्क़ की जलती डगर

प्रार्थनाओं से ही फिर खुलते हैं वो
बंद होते हैं अगर क़िस्मत के दर

दीप पागल हो गए जल जल के अब
चाँद ने देखा उसे जब रात भर

कल तलक वो पाँव में थे ग़ैर के
झुक गए जो तेरी जानिब आज सर

गर किसी ने पूछा तो मैं क्या कहूँ
जा रहे हो तुम मुझे क्यों छोड़कर

चंद लम्हों की मुहब्बत काफ़ी है
कौन किसको चाहता है उम्र भर

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ग़ज़ल- तीन 

आसमानों का जो सितारा हो
कैसे उसका यहाँ गुज़ारा हो

इश्क में शिर्क तो नहीं जायज़
जो हमारा है बस हमारा हो

लम्स तितली का भी चुभे उसको
तेरे ग़म का जो शख़्स मारा हो

भूल जाऊँ मैं चेहरा वो कैसे
चाहतों से जिसे निहारा हो

जां हथेली पे ले के बैठा हूँ
मेरी जानिब भी इक इशारा हो

या ख़ुदा, बावफ़ा मिले कोई
इश्क जिससे भी अब दुबारा हो

फूल भी रश्क़ करते हों जिससे
कैसे वो शख्स़ बस तुम्हारा हो

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ग़ज़ल- चार 

जो तेरी याद से गुज़रते हैं
ख़ुशबूओं में घिरे-से रहते हैं

ये दहकते हुए-से मेरे लब
लम्स के वास्ते तड़पते हैं

बाग़ तो बाग़ है ये सहरा भी
तू क़दम रक्खे तो महकते हैं

तू नहीं है नसीब में जिनके
सिगरटनोशी वही तो करते हैं

जो तेरी आँख के पुजारी हैं
इश्क को बस वही समझते हैं

उनकी क़िस्मत भी क्या अजब होगी
जो तेरे घर के पास रहते हैं

देख लें हम तुझे जो एक नज़र
काफ़ी दिन तक नशे में रहते हैं

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11 Total Review
S

Suman maurya

14 February 2025

Very nice, keep it up

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रचनाकार परिचय

सत्य पी० गंगानगर

ईमेल : spjoiya@gmail.com

निवास : श्रीगंगानगर (राजस्थान)

जन्मतिथि-14 अगस्त, 1997
जन्मस्थान- श्रीगंगानगर (राजस्थान)
शिक्षा- एम० ए० (भूगोल, राजस्थानी एवं हिंदी), यूजीसी नेट (भूगोल, राजस्थानी एवं हिंदी)
सम्प्रति- पीएचडी शोधार्थी, दिल्ली विश्वविद्यालय
प्रकाशन- विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में राजस्थानी, हिंदी एवं पंजाबी में कविताएँ व ग़ज़लें प्रकाशित।
सम्मान- गंगानगर कला मंच द्वारा 'युवा साहित्यकार पुरस्कार- 2015'
सृजन सेवा संस्थान द्वारा 'सृजन साहित्य सम्मान'
पता- 99/3 कैलासपुरी, नज़दीक जैन गर्ल्स कॉलेज, श्रीगंगानगर (राजस्थान)- 335001
मोबाइल- 8949937914