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नवीन सी० चतुर्वेदी की ग़ज़लें

नवीन सी० चतुर्वेदी की ग़ज़लें

वह तो द्वापर था महोदय आज भी यह सत्य है
गोपियों  को  कोई  भी  उद्धव  पढ़ा सकता नहीं


ग़ज़ल- 01

जिस दृष्टि से हम देखते हैं प्रेमिका के रूप को
क्या देख सकते हैं उसी से आत्मजा के रूप को

है  दृष्टि  सबके पास लेकिन श्रेष्ठ दृष्टा है वही
आकाश  बन कर  देखता है जो धरा के रूप को

घर को सजाने में स्वयं  पर ध्यान देते ही नहीं
अवसर मिले तो देखना  माता-पिता के रूप को

सच-सच बताना जो सदन में रह रही है आपके
पल भर निहारा है कभी उस अप्सरा के रूप को

नारी  के इस  प्रारूप में कल्याण ही कल्याण है
श्रद्धा सहित  देखो कभी जगदम्बिका के रूप को

दासी  कहोगे तो  स्वयं  भी दास ही कहलाओगे
इक  वीर  बन के  देखिए  वीरांगना के रूप को

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ग़ज़ल- 02

व्यर्थ की बातों को हमने रात-दिन सोचा बहुत है
क्या कहेंगे सब हमें इस बात की चिंता बहुत है

यह चटोरी जीभ ही भरमा रही है हम सभी को
पेट भरने के लिए तो पाव भर आटा बहुत है

आप फूलों और फलों की बात ही क्यों कर रहे हैं
वृक्ष हैं माता-पिता और वृक्ष की छाया बहुत है

जानकी की वंशजाओ धर्मध्वज गिरने न देना
दुष्ट रावण के लिए तो एक ही तिनका बहुत है

आज भी सर्वत्र कुछ ऐसे पुरुष भी हैं जगत में
जिनका कहना है कि राघव के लिए सीता बहुत है

आयु की सीमा नहीं प्रज्ञान का विस्तार देखो
प्रौढ़ हैं तो क्या हुआ हम में अभी ऊर्जा बहुत है

हो शिवालय की जलहरी या हवन कुण्डी महोदय
शम्भु हों या शक्ति हों दोनों ही की महिमा बहुत है

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ग़ज़ल- 03

धवल मुखचन्द्र पर जब श्याम कुन्तल नृत्य करते हैं
तो यों लगता है ज्यों लहरा के बादल नृत्य करते हैं

सभा सावन सजाये और पावस हो पखावज पर
गगन कहता है तत्-तत्-थेइ जल-थल नृत्य करते हैं

सरोवर में कभी हंसों के जोड़े का प्रणय देखो
हृदय जिनके हों निश्छल वे ही निर्मल नृत्य करते हैं

कोई संकल्प कर ले तो असम्भव कुछ नहीं प्रियवर
यहाँ चरणों से वंचित शीश के बल नृत्य करते हैं

पतंजलि जैसा जब कोई धरा पर जन्म लेता है
मगन हो जाते हैं बरगद औ पीपल नृत्य करते हैं

भले अमृत गटक कर भी जगत उलझा रहे लेकिन
जगत के मित्र शिव पी कर हलाहल नृत्य करते हैं

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ग़ज़ल- 04

उस अलौकिक जोत को कोई बुझा सकता नहीं
प्रेम के अस्तित्व को कोई मिटा सकता नहीं

एक ही अन्तस है मेरा जो तुम्हें दिखला चुका
चीर कर निज वक्ष को फिर से दिखा सकता नहीं

वह तो द्वापर था महोदय आज भी यह सत्य है
गोपियों को कोई भी उद्धव पढ़ा सकता नहीं

आपसे अनुराग है तो है छुपाऊँ किसलिए
तन छुपा सकता हूँ लेकिन मन छुपा सकता नहीं

मान्यवर जी आप मदिरा को भले अमृत कहें
अपने हाथों आप को मैं विष पिला सकता नहीं

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ग़ज़ल- 05

हम ना तो हैं कठपुतली ना रेस के घोड़े हैं
जग मानसरोवर है हम हंसों के जोड़े हैं

बस तैरने में ही तुम जीवन न बिता देना
उड़ने के लिए पर भी भगवान ने जोड़े हैं

जब-जब मैं रुका तब-तब गुरुदेव ने समझाया
बस चलता चला चल तू हर पंथ पे रोड़े हैं

मत पूछ हवन कितने पुरखों ने थे करवाये
यह देख जतन कितने तेरे लिए छोड़े हैं

वह धानी चुनर हमने ओढाई मरुस्थल को
हाँ हमने ही पानी के धारे यहाँ मोड़े हैं

इस धरती पे मिलते हैं ऐसे भी महामानव
हैं जिनके वचन अमृत पर कर्म निगोड़े हैं

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Bhanu jha

10 January 2025

बहुत ही मशक्कत से अपने गजल के लिए बधाई हो

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रचनाकार परिचय

नवीन सी० चतुर्वेदी

ईमेल : navincchaturvedi@gmail.com

निवास : मुंबई (महाराष्ट्र)

जन्मतिथि- 27 अक्तूबर, 1968
जन्मस्थान- मथुरा (उत्तरप्रदेश)
शिक्षा- स्नातक (वाणिज्य)
संप्रति- मुम्बई में Security-Safety-IT Equipments के व्यवसाय में संलग्न
साहित्यिक गतिविधियाँ-
ब्रजभाषा, हिंदी, उर्दू, गुजराती एवं मराठी में ग़ज़ल सृजन
हिन्दुस्तानी साहित्य सेवार्थ 'कविता कोश' एवं 'साहित्यम' सहित अनेक वेब पोर्टल्स के सम्पादकीय-मण्डलों में प्रतिनिधित्व
अंतरजाल के माध्यम से पिंगलीय छन्दों एवं ग़ज़लों से सम्बन्धित अर्जितोपार्जित ज्ञान पर कार्यशालाओं का आयोजन
देशभर में अनेक मंचों से काव्यपाठ
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशन एवं अन्तर्जालीय उपस्थितियाँ
ऑडियो/वीडियो एल्बमों के लिए लेखन
विशेष- ब्रजगजल प्रवर्तक
प्रकाशन-
पुखराज हबा में उड़ रए एँ (सर्वप्रथम ब्रजगजल संग्रह, 2015), मोरछल (ब्रजगजल संग्रह, 2020), धानी चुनर (हिंदी गजलों का संग्रह, 2022)
ब्रजगजल संग्रह (ब्रजगजलों का साझा संकलन, 2018),
सम्मान/पुरस्कार-
उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा बाबु जगन्नाथ दास रत्नाकर पुरस्कार (ब्रजगजल संग्रह ‘मोरछल’ के लिए)
हिंदी पुस्तकालय समिति डीग (राजस्थान) द्वारा ब्रजभाषा में गजलों के शुभारम्भ के लिए सम्मान
साहित्य सम्मलेन नाथद्वारा द्वारा ब्रजभाषा में नयी विधा ब्रज गजल का शुभारम्भ करने एवं अन्य व्यक्तियों को भी इस प्रकल्प में जोड़ने के लिए सम्मान इंशाद द्वारा विविध भाषाओं में ग़ज़ल सृजन हेतु 'फ़रोग़-ए-इंशाद' सम्मान
निवास- मुंबई (महाराष्ट्र)
मोबाइल- 9967024593