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भानु झा की ग़ज़लें

भानु झा की ग़ज़लें

देखिए  आज  उसकी वुसअत में
मैं भी किस हद तलक समाता हूँ

ग़ज़ल- 1

अब जीत कर चुनाव वो भगवान हो गये
फिर उल्टे सीधे उनके भी फ़रमान हो गये

फ़िरका-परस्तों के जो ये ऐलान हो गये
अच्छे-भले थे लोग जो हैवान हो गये

बेटे बहू के अब से ये ऐलान हो गये
घर के बड़े फ़जूल के सामान हो गये

जिस पल से हमसफ़र ने मेरा हाथ छोड़ा है
मेरे लिए ये रास्ते आसान हो गये

ईमां, वफ़ा, ज़ुबान, मुहब्बत व आबरू
बाज़ार के सजे हुए सामान हो गये

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ग़ज़ल- 2

लौटने के लिए ही आता हूँ
लौटना भी है भूल जाता हूँ

इतनी जल्दी भी क्या मचा रखी है
आता हूँ भाई, जल्द आता हूँ

दूसरों की तो पूछिए भी मत
ख़ुद को ही मैं नहीं सुहाता हूँ

देखिए आज उसकी वुसअत में
मैं भी किस हद तलक समाता हूँ

मुझसे जो पूछते हो मेरा हाल
ख़ुद से मिलकर तुम्हें बताता हूँ

रोज़ कहता है मुझसे मेरा यार
कल तेरे घर ज़रूर आता हूँ

मेरे घर आये, मेहरबानी है
तुमको घर तक मैं छोङ आता हूँ

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ग़ज़ल- 3

अपनी तेवर का सबको ख़ुदा चाहिए
सबको अब एक मज़हब जुदा चाहिए

तुझको जीवन में सब तयशुदा चाहिए
फिर तो तुझको भी होना ख़ुदा चाहिए

हमको चाहत है तो इक जज़ीरे की अब
आज हमको भी दुनिया जुदा चाहिए

जितना ही दूर इंसानियत से है वो
उसको उतना बड़ा अब ख़ुदा चाहिए

जो बचा ले हमें बीच मझधार में
अब कोई ऐसा ही नाख़ुदा चाहिए

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रचनाकार परिचय

भानु झा

ईमेल : bhanu9279jha@gmail.com

निवास : आदमपुर (बिहार)

जन्मतिथि-13/7/1971
शिक्षा- स्नातकोत्तर (अंग्रेज़ी)
संप्रति- शिक्षण कार्य
प्रकाशन- ग़ज़ल संग्रह 'कीचड़ में खिलता कमल देखेंगे' प्रकाशित
पता- विवेकानंद पथ, आर्यभट्ट स्कूल के समीप, आदमपुर, भागलपुर (बिहार)- 812001
मोबाइल- 9155252161