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एक क्रूर व सनकी राजा की भयानक सनक- अनूप शुक्ल

एक क्रूर व सनकी राजा की भयानक सनक- अनूप शुक्ल

वेलेंटाइन्स डे मनाने की परम्परा का प्रारंभ कब, क्यों और कैसे हुआ? पढिए इतिहासकार अनूप शुक्ल जी के आलेख में।  

रोम का राजा क्लाउडियस की सनक भी क्या खूब थी। वह मानता था कि बीबी-बच्चों की घर गृहस्थी मे फँसकर पुरुष समाज अपना बल पौरुष खो बैठता है ,और उसी कोल्हू मे गन्ने की तरह पिरकर चीफुर रह जाता है। अत: उसने पूरे रोम साम्राज्य मे नारी-पुरुष मिलन एवं प्रेम और शादी व्याह पर भी कठोर दण्ड की घोषणा कर दी। बहुत संभव है राजा क्लाउडियस का निजी ऐश्वर्यमय जीवन मे भी प्रेम प्रसंग अंगूर की तरह खट्टा रहा हो।  
जो भी हो, इस सनकी राजा के अप्राकृतिक एवं समाज विरोधी मृत्युदंड जैसे अमानुषिक फरमानों से रोम की जनता मे तहलका मच गया। इस आग में और घी तब पड़ गया, जब उस निरंकुश ने चोरी चुपके ब्याह रचाने वाले जोड़ों सहित उनकी शादी कराने वाले पादरियों को भी सरेआम सूली पर लटका दिया। प्रेम मिलन और ब्याह के नाम पर वह एक तो करेला और राजहठ के कारण नीम चढ़ा था। प्रकृति, समाज था धर्मविरोधी रोम सम्राट की इस भयानक सनक ने जन जन मे त्राहि मचा दी। उस मूर्ख ने यह भी नहीं सोचा कि मानव समाज और संस्कृति के होनहार भविष्य हमारे बच्चे ही नहीं जन्मेंगे तो ईश्वरीय सृष्टि कैसे चलेगी? आखिर वह भी तो अपने माता पिता के प्रेम मिलन का प्रतिफल था। कौन समझाता उसे? सेनापति सामंत और सलाहकार मंत्री आदि सभी तो उसके भय से नाकों चने चबा रहे थे ।क्योंकि वे सब भी उसके विरुद्ध खार खाये बैठे थे। 
क्रूर शासक क्लाउडियस के प्रकृति विरुद्ध तमाम खूनी फरमानों को अनसुना व अनदेखा कर संत वेलेंटाइन ने अदम्य साहस दिखाय, और सैकड़ों जोड़ों का ब्याह रचाकर अपने धर्म का कालजयी निर्वाह किया। इस कारण निरंकुश राजा के आदेश पर सैनिकों द्वारा संत वेलेंटाइन बंदी बना लिए गये। राजा क्लाउडियस ने 14 फरवरी 269 ई० को मृत्युदण्ड सुनाकर संत वेलेंटाइन को सूली पर चढ़ा दिया। 
 फिर क्या था संत वेलेंटाइन के इस बलिदान से क्षुब्ध जनता में ऐसा अदम्य आक्रोश और राजद्रोह ज्वालामुखी बनकर भड़का कि सभी रोमन लोग सड़कों पर उतर आये।  करो या मरो के उदघोषित युद्ध मे शाही सेना की जान के लाले पड़ गये। रोम सम्राट की अप्राकृतिक अधर्म नीति के शिकार सभी लड़ाकू सैनिकों ने भी हथियार डाल दिए और उस क्रूर क्लाउडियस का तख्ता पलट गया।  
इसके बाद से हुतात्मा संत वेलेंटाइन का बलिदान ऐसा रंग लाया कि सभी रोमवासियों ने उन्हें प्रेम का देवता मान लिया। इस प्रकार संत वेलेंटाइन का बलिदान दिवस वेलेंटाइन डे नाम से  प्रेम, मिलन, इज़हार और विवाहोत्सव के रुप मे मनाया जाने लगा। 
 
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VISHAMBHAR NATH TRIPATHI

14 February 2025

अनूप कुमार शुक्ल जी को कानपुर के इतिहास का चलता फिरता इंसाइक्लोपीडिया यूँ ही नहीं कहा जाता। मैं सैकड़ों बार उनकी अद्वितीय/अद्भुत स्मरण शक्ति का साक्षी होता रहा हूँ। दादी - नानी की कहानियों की तरह उन्हें कानपुर के इतिहास की क्रमबद्ध जानकारी कंठस्थ ही नहीं है वरन् गलत जानकारी रखने वाले का मुँह बंद करने तक की सामर्थ्य उनके भीतर कूट कूट कर भरी हुई है...... जय हो स्वामी !

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रचनाकार परिचय

अनूप कुमार शुक्ल

ईमेल :

निवास : कानपुर (उत्तर प्रदेश)

जन्मतिथि- 13 जुलाई 1971
जन्मस्थान- मैथा, मारग कानपुर देहात
लेखन विधा- स्थानीय इतिहास / पुरातत्त्व/साहित्य/संस्कृति
शिक्षा- परास्नातक हिन्दी
सम्प्रति- राजकीय सेवा एवं स्वतंत्र लेखन 
प्राकाशन- स्फुट
सम्मान- बहुत सी संस्थाओं से मानपत्र व सम्मानोपाधियों से अलंकृत
विशेष- "लिविंग इन्सक्लोपीडिया " के रूप में ख्यात
संपर्क- केनाल कालोनी गोविन्दनगर कानपुर नगर
मोबाइल- 9140237486