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'दुष्यन्त कुमार : स्मरण एवं विमर्श' का लोकार्पण

'दुष्यन्त कुमार : स्मरण एवं विमर्श' का लोकार्पण

अपने वक्तव्य में पुस्तक के संपादक हरेराम समीप जी ने हिंदी के चर्चित कवि स्वप्निल श्रीवास्तव के एक कथन का उल्लेख किया, जो दुष्यन्त की महानता को प्रकट करता है। स्वप्निल श्रीवास्तव जी के अनुसार 'दुष्यन्त आज के सबसे ज़्यादा याद किये जाने वाले कवि हैं'।

नई दिल्ली में विश्व पुस्तक मेले के दूसरे दिन व बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर 2 फरवरी 2025 को हिंदी ग़ज़ल के पुरोधा रचनाकार दुष्यन्त कुमार के ग़ज़ल-सृजन पर केंद्रित पुस्तक दुष्यन्त कुमार : स्मरण एवं विमर्श का लोकार्पण श्वेतवर्णा प्रकाशन के स्टॉल पर किया गया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए हिंदी के वरिष्ठ ग़ज़लकार एवं आलोचक श्री कमलेश भट्ट 'कमल' ने जानकारी दी कि उनकी यह पुस्तक एक संपादित पुस्तक है। इसमें प्रमुख रूप से दुष्यन्त कुमार के ग़ज़लकार स्वरूप पर विमर्श किया गया है लेकिन उसके साथ ही उनके दूसरे विभिन्न स्वरूपों पर भी बात हुई है। इस लिहाज़ से इस पुस्तक का प्रकाशन हिंदी ग़ज़ल के लिए ऐतिहासिक है।

कार्यक्रम में इस पुस्तक के संपादक और ग़ज़लकार-आलोचक श्री हरेराम समीप ने कहा कि दुष्यन्त के बहुत से आयाम मैंने इन सभी लेखों में तलाशे हैं और उन्हें इसी क्रमबद्धता से रखा है ताकि उन्हें उसी तरह समझा जा सके। इस पुस्तक में लेखकों की तीन पीढ़ियाँ हैं, पहली वह, जो दुष्यन्त की समकालीन है और जिसने उनके रचना-समय को देखा है। दूसरी पीढ़ी ने साहित्य में दुष्यन्त के प्रभाव को मूल्याँकित किया, परखा और उसको आत्मसात किया। तीसरी पीढ़ी उन युवा लेखकों की है, जो अपने समय से दुष्यंत की रचनाओं का मिलान कर समकालीन सन्दर्भों में उनकी व्याख्या कर रही है। उन्होंने अपने लेखकीय वक्तव्य में
पुस्तक के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह एक प्रयास है, जिससे इन पिछले पचास वर्षों में दुष्यन्त कुमार के प्रभाव और प्रासंगिकता को जहाँ-जहाँ चिन्हित किया गया है, उनको एक जगह दर्ज किया जा सके ताकि आगे उन पर किये जाने वाले अध्ययन में यह काम आये।

उन्होंने अपने वक्तव्य में हिंदी के चर्चित कवि स्वप्निल श्रीवास्तव जी के एक कथन का भी उल्लेख किया, जो दुष्यन्त की महानता को प्रकट करता है। स्वप्निल श्रीवास्तव जी के अनुसार 'दुष्यन्त आज के सबसे ज़्यादा याद किये जाने वाले कवि हैं'।

कार्यक्रम आगे बढ़ाते हुए हिंदी के वरिष्ठ कथाकार, ग़ज़लकार एवं आलोचक श्री ज्ञानप्रकाश विवेक ने पुस्तक के विषय में कहा कि यह कोई ग़ैरमामूली काम नहीं है। दुष्यन्त एक तरह से ग़ज़ल-स्कूल हैं हमारे लिए। हम उनकी ग़ज़लों में प्रतिवाद पर बात करते हैं लेकिन उनकी करुणा पर बात नहीं करते, दुष्यन्त ग़ज़ल में करुणा लेकर आये। इसके साथ ही वे दुष्यन्त कुमार के लिए एक रोचक संज्ञा देते हुए कहते हैं कि वे 'गेट वे ऑफ ग़ज़ल' हैं।

प्रसिद्ध गीतकार डॉ० अनिल गौड़ ने दुष्यंत कुमार को हिंदी का सबसे रहस्यमयी ग़ज़लकार बताते हुए कहा कि वे ऐसी पहेली हैं, जिसे पिछले पचास सालों से सुलझाया जा रहा है लेकिन उसके रहस्यों पर से पूरी तरह परदा उठा नहीं है। वो इतने आसान हैं कि लोगों के लिए कठिन हो जाते हैं।

पुस्तक मेले जैसे अवसर पर पुस्तकों की भीड़भाड़ के बीच इस महत्त्वपूर्ण ग्रंथ पर कई स्वनामधन्य साहित्यकारों, सर्वश्री विज्ञान व्रत, अनिरुद्ध सिन्हा, विजय कुमार स्वर्णकार, चन्द्रभाल सुकुमार, जगदीश व्योम, वरुण कुमार तिवारी, अमर पंकज आदि ने भी अपने विचार प्रकट किये तथा शुभकामनाएँ दीं। प्रकाशन ने इस कार्यक्रम को सोशल मीडिया पर लाइव भी किया, जिसके माध्यम से हज़ारों साहित्य-प्रेमी इस आयोजन को देख-सुन सके।

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