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प्रेम की सच्चाई और गहरापन सहजता से समझाता संग्रह- दिवाकर पाण्डेय 'चित्रगुप्त'

प्रेम की सच्चाई और गहरापन सहजता से समझाता संग्रह- दिवाकर पाण्डेय 'चित्रगुप्त'

चाँद अब हरा हो गया है एक प्रेम कविता संग्रह है, जिसके संयुक्त रचनाकार के० पी० अनमोल एवं अनामिका कनोजिया 'प्रतीक्षा' हैं। इस संग्रह में प्रेम का शायद ही कोई व्यक्तिगत तथ्य या स्थिति हो, जिसे हमने कभी नहीं महसूस किया हो। इन कविताओं की सार्थकता इसी में है कि पढ़ते समय इनसे एक जुड़ाव-सा महसूस होता है।

देवी की संज्ञा को बेबी के सर्वनाम से उच्चारित करने के इस दौर में वीर भूमि राजस्थान से निकले एक कवि ने देवभूमि उत्तराखण्ड की कवयित्री के साथ मिलकर कविताओं की किलकारी का ऐसा अनुनाद किया कि चाँद अपने सब दागों को भूलकर हरा हो गया है।

कभी ऐसा हो कि तुम
मेरे सीने पर सर रखकर लेटी रहो
और मैं सुनाता रहूँ तुम्हें
तुम्हारे लिए लिखीं
प्रेम कविताएँ

- के० पी० अनमोल

हाँ, शायद हो पाए कभी ऐसा भी
कि मैं खोई रहूँ
प्रेम कविताओं में
और एक उम्र निकल जाए
ज़िंदगी की

- अनामिका कनोजिया 'प्रतीक्षा'

'चाँद अब हरा हो गया है' एक प्रेम कविता संग्रह है, जिसके संयुक्त कवि और कवयित्री के० पी० अनमोल और अनामिका कनोजिया 'प्रतीक्षा' हैं। इस संग्रह में प्रेम का शायद ही कोई व्यक्तिगत तथ्य या स्थिति हो, जिसे हमने कभी नहीं महसूस किया हो। इन कविताओं की सार्थकता इसी में है कि पढ़ते समय इनसे एक जुड़ाव-सा महसूस होता है। प्रेममय माहौल और उस संतुलन को, जिनसे प्रेम-अभिव्यक्ति और कोमल -भावनाएँ उभरती हैं, उसी को शब्दों में बांधकर काव्य रूप में प्रस्तुत किया गया है।

यह संग्रह विभिन्न भावनाओं और विचारों को एक साथ ढालता है, जिनसे प्रेम की सराहना की गयी है। लेखकों ने शब्दों के माध्यम से इस प्रेम कविता संग्रह में उन भावनाओं को व्यक्त किया है, जिनसे प्रेम की सच्चाई और गहरापन सहजता से समझ में आता है।

इन कविताओं में भावों का सुंदर चित्रण, अद्वितीय भावनाएँ और रचना का मुक्त-छंद स्वरूप होने के कारण यह संग्रह पठनीय है। प्रेमी हृदयों के बीच का जो भी संदेश हो, यह कविताएँ उन्हें सुंदरता और मधुरता के साथ एक-दूसरे तक पहुँचाती हैं।

इन कविताओं का पाठ प्रेम के विभिन्न पहलुओं को समझने और आनंद उठाने में मदद कर सकता है। यह कविता संग्रह न केवल प्रेम के महत्व को उजागर करता है बल्कि हमें उन रोमांचित क्षणों तक भी ले जाता है, जिन्हें हमने कभी सोचा तो होगा लेकिन उसे कहने के लिए शब्द न तलाश पाए होंगे। संग्रह पढ़कर आपको काव्य की उच्चता और शब्दों के सौंदर्य-बोध का लाभ उठाने का आनंद मिलेगा।

दो चम्मच बारिश
मुट्ठी भर बादल
पखेरू पागल
ऐसी मैं

पुराने खत से अनमोल
एक चुटकी सपने
दो घूंट अपने
ऐसे तुम!

- अनामिका कनोजिया 'प्रतीक्षा'

'मुहब्बत मदहोश लोगों को मिलती है, बेहोश लोगों को नहीं' प्रत्येक कविता में रचनात्मकता की ऊर्जा होती है, जो पाठक को प्रभावित करती है और कविता में विविध भावनाएँ प्रकट की जाती हैं, जो पाठकों के दिलों को छू जाती हैं। इसके अलावा कविता का अपना विशेष रूप होता है, जिसमें छंद और रचना की सुंदरता होती है। कविता के विधान में छंद न भी हो तब भी उसकी लयात्मकता पाठक को अंत तक जोड़े रखती है।

सबसे अहम होती है कविता की भाषा, जो पाठक से संवाद करती है। भाषा अगर दुरूह हो तो पाठक उससे जुड़ नहीं पाता है और अगर भाषा चलती-फिरती हो तब भी वह अपना प्रभाव छोड़ने में निष्फल रह जाती है।

संग्रह अतुकांत कविताओं का है, जिसमें तीन खंड हैं। पहला है- 'सिर्फ तेरे लिए', जो प्रतीक्षा और अनमोल ने उत्तर-प्रतिउत्तर के तौर पर लिखा है। दूसरा खंड- 'कुछ तेरा जो मेरा है', ये प्रतीक्षा का लिखा है और तीसरा खंड- 'तुम्हारे लिए', अनमोल ने लिखा है, इसमें कुछ ग़ज़लें भी हैं।

कितना आसान होता है कहना
मुहब्बत को मुहब्बत
पर जानते हो
कितना दर्द समेटे हैं ये शब्द अपने भीतर

- प्रतीक्षा

इन कविताओं में सिर्फ कोमल भावनाएँ ही नहीं समाहित हैं बल्कि इनमें वह डर भी है, जो जाति-पाति, ऊँच-नीच, धर्म-संस्कार आदि रूपों में आकर बीच में खड़ा हो जाता है और दो प्रेमियों को कभी मिलने नहीं देता।

इतवार ने एक शाम उतारकर खूंटी से टांग दी है
ठीक इस उम्मीद के ऊपर
जिसमें इसने टांग रखे थे
तुझसे हुई मुलाकातों के फटे दुशाले

समय की धूप ने भी इस आस को पिघलाकर
इसके जिस्म को यादों के फफोलों से भर दिया है।

- प्रतीक्षा

यह एक पठनीय संग्रह है, जिसे रत्ती-रत्ती पढ़ो तो महीनों या वर्षों में लेकिन एक साथ पढ़ो तो एक बैठकी में आसानी से पढ़ा जा सकता है।

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समीक्ष्य पुस्तक- चाँद अब हरा हो गया है
विधा- छंदमुक्त कविता
रचनाकार- के० पी० अनमोल एवं अनामिका कनोजिया 'प्रतीक्षा'
प्रकाशक- श्वेतवर्णा प्रकाशन, नॉएडा
मूल्य- 249/-

1 Total Review
B

Bhanu jha

15 February 2025

सही में एक एक शब्द प्रेम में सरोवर है

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रचनाकार परिचय

दिवाकर पांडेय 'चित्रगुप्त'

ईमेल : pandeydivakar.pandey.dp@gmail.com

निवास : लखनऊ (उ०प्र०)

प्रकाशित पुस्तकें- गोपी (लघुकथा संग्रह), चित्रगुप्त का समाधान, तमाशाई व सीधे-सच्चे व्यंग्य (व्यंग्य संग्रह), हवा इस ओर की चलती नहीं है (ग़ज़ल संग्रह), हारा हुआ नायक (उपन्यास)
निवास- लखनऊ (उ०प्र०)
मोबाइल- 7526055373