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उजड़ा चमन- डॉ० मुकेश 'असीमित'

उजड़ा चमन- डॉ० मुकेश 'असीमित'

 
गंजापन क्या है? जैसे सिर पर चंद्रमा की पूर्णिमा हो, जो हर रात चमकता रहता है, अपनी खूबसूरती में अडिग, अपने हिस्से की धूप-पानी सहर्ष झेलता है। बालों से जितनी भी तक़लीफें होती थीं, अब सबको अलविदा कह दिया गया है। कोई कंघा इधर-उधर नहीं फेंकना, कोई हेयर क्रीम खरीदने की चिंता नहीं। यह है गंजेपन का सौंदर्य—साधारण, सरल और हमेशा के लिए साथ।

जितना अपनापन यह गंजापन दिखाता है, उतना शायद ही कोई दोस्त या रिश्तेदार दिखाता होगा। गंजापन ऐसा साथी है जो आपकी ज़िंदगी में आ जाए तो फिर पीछे मुड़कर नहीं देखता, आता है बिना बुलाए मेहमान की तरह। लेकिन उस समय जब शरीर के सारे अंग अपना काम छोड़कर दाएँ-बाएँ झाँकने लगते हैं, बस यही प्रकृति का वरदान है जो रात-दिन आपके सिर पर सवार होकर आपकी सुरक्षा में तैनात रहता है। अब कोई मजाल कि आपका बाल भी बाँका कर सके—गंजापन ही है जिसके  सिर पर हो, उसकी कोई माँग नहीं... न हेयर ऑइल, न हेयर क्रीम, न दर्पण और न कंघे की कोई माँग । बिलकुल बिना शर्त आपके जीवन के गठबंधन  में शामिल भरोसेमंद पार्टी की तरह  अडिग टिका हुआ है... मजाल कि दल-बदलू नेताओं की तरह पलट जाए... मजाल कि थोथे वादों की तरह हवा में उड़ जाए... हेयरकट का खर्चा भी नहीं, और हर समय घुटे सिर के बल तैयार रहने की स्थिति।
 
गंजापन क्या है? जैसे सिर पर चंद्रमा की पूर्णिमा हो, जो हर रात चमकता रहता है, अपनी खूबसूरती में अडिग, अपने हिस्से की धूप-पानी सहर्ष झेलता है। बालों से जितनी भी तक़लीफें होती थीं, अब सबको अलविदा कह दिया गया है। कोई कंघा इधर-उधर नहीं फेंकना, कोई हेयर क्रीम खरीदने की चिंता नहीं। यह है गंजेपन का सौंदर्य—साधारण, सरल और हमेशा के लिए साथ।
 
देख रहा हूँ, बाजार में नेताओं के झूठे वादों की तरह इस बंजर जमीन पर नई फसल उगाने के झूठे वादों से भरे तेल, क्रीम और मालिश... सब गंजों के पीछे पड़े हैं। मार्केटिंग में भी एक ही गुर सिखाया जाता है... अगर आपने गंजे को कंघी बेच दी तो इसका मतलब आप मार्केटिंग के एक्सपर्ट हैं। क्या गंजा आदमी तुम्हें गिनी पिग नज़र आता है? बाज़ार की बाज़ीगरी में बेचारे गंजे को हलाल किया जा रहा है, वो भी उसे कंघी बेचकर।
 
हेयर ट्रीटमेंट कॉस्मेटिक क्लिनिक और हेयर ट्रांसप्लांट क्लिनिक बाल रोपण कार्यक्रम चला रहे हैं। सरकार जैसे ज़मीन पर वृक्षारोपण कार्यक्रम के लिए नर्सरियों को बढ़ावा देती है, वैसे ही आदमी के सर की बंजर ज़मीन को हरा-भरा करने के लिए भी कुछ योजनाएँ लागू होनी चाहिए। 'हेयर-रोपण योजना' के तहत हर मोहल्ले में गंजों के लिए विशेष 'बाल वितरण केंद्र' खुलने चाहिए। जगह-जगह कृत्रिम हेयर वितरण केंद्र हों। शादी-ब्याह, मैरिज ब्यूरो, नौकरी रोज़गार,बैंक से लोन, रहत सामग्री आवंटन, सरकारी स्कीमों में गंजों के लिए स्पेशल क्वोटे दिए जाएँ, जिससे गंजापन भी एक फैशन ट्रेंड में तब्दील हो सके। और गंजों को हिकारत से देखने वालों को नज़रबंद किया जाए।
 
सरकार किसानों की फसल उत्पादन पर प्राकृतिक आपदाओं के लिए इंश्योरेंस या फसल बीमा का प्रावधान करती है; सरकार को चाहिए कि हर आदमी या औरत की इस प्राकृतिक फसल के उजड़ने पर भी मुआवज़े का प्रावधान हो। जैसे सरकार किसानों के लिए योजनाएँ बनाती है, वैसे ही गंजों के लिए भी 'गंजापन पुनर्वास योजना' लाई जानी चाहिए। हर गंजे व्यक्ति के लिए 'कूलनेस एलाउंस' का प्रावधान हो। आखिर, गंजापन अब फैशन का हिस्सा बन चुका है। खुद का सिर 'अलग' दिखाने का दावा कर, गंजे लोग अब न सिर्फ सामाजिक मान्यता की माँग कर रहे हैं, बल्कि उन्हें भी अब फैशन शो में स्पेशल सीटें मिलनी चाहिए। सोचिए, शादी-ब्याह में भी गंजों के लिए विशेष कोटा हो, और मैरिज ब्यूरो में गंजों को एक प्रीमियम स्टेटस दिया जाए—"कुछ एक्स्ट्रा भुगतान पर गंजा दुल्हा भी उपलब्ध!"
 
गंजा आदमी सीधा होता है, हर कोई उसे टोपी पहना सकता है। कहते हैं पैसे के साथ गंजापन आता है—अब पहले कौन आता है, गंजापन या पैसा, ये थोड़ा शोध  का विषय है। उसी प्रकार जैसे पहले मुर्गी आई या अंडा। पहले के ज़माने में सुना है कि मूँछों के बाल रखे जाते थे गिरवी... लोग मूँछों के बाल के ज़रिये अच्छा कर्ज़ ले लेते थे साहूकारों से... कहीं ये नहीं सुना कि सिर के बाल भी गिरवी रखे जाते हैं।
 
पैसा कमाने के चक्कर में आदमी टेंशन में रहता है, और जब तक पैसा आता है तब तक सिर के बाल उड़ चुके होते हैं। लेकिन यहाँ मुझे मालूम है कि न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी। क्योंकि टेंशन मुझे होती नहीं, अब टेंशन नहीं होगी तो भला गंजा कहाँ से हो पाऊँगा... और बिना बालों का टैक्स चुकाए धन आने की संभावना नगण्य है।
 
हमारे समाज में मुंडन संस्कार यूँ तो कई धार्मिक रीति-रिवाजों में जीवन के विभिन्न पड़ावों में चलता आया है। लेकिन कालांतर में अपने परिवार में बुजुर्ग की अंत्येष्टि के साथ बाल देने की प्रथा है। तो वहीं मुंडन संस्कार समाज में एक संदेश दे जाता है कि बंदे के साथ कैसे पेश आना है। कहीं बंदा पिता की मृत्यु की गमी में शोक मना रहा हो और तुम पहुँच गए अपने कर्ज़ की किश्त के विलंब भुगतान की शिकायत लेकर... यार, अगले का बाप मरा है... 13 दिन की मोहलत तो बनती  है न।
 
एक बार मुझे भी ऐसी मुश्किल का सामना करना पड़ा—यों कहिए कि बड़ी मुश्किल से अपनी खोपड़ी के बाल बचा पाया। हुआ यूँ कि पड़ोस के शर्मा जी के यहाँ जाना हुआ... एक निमंत्रण देना था मेरे नए प्रतिष्ठान के उद्घाटन का। पहुँचा तो देखा, शर्मा जी बैठे हैं अहाते में, सिर पर एक भी बाल नहीं, क्लीन शेव्ड खोपड़ी। सुबह की धूप में उनकी चमकती खोपड़ी ने हमारी आँखें चौंधिया दीं। पड़ोस में शर्मा जी और हमें पता ही नहीं चला! दस आशंकाएँ हमारे मन में घुस गईं। तुरंत हमने निमंत्रण पत्र को जेब के हवाले किया, अपना मुँह लटकाया और ज़माने भर की उदासी और शोकभाव चेहरे पर ले आए, बस रोने ही वाले थे। समझ नहीं आ रहा था कि शोक संवेदनाएँ कैसे प्रकट करें। पहले तो यह जानना था कि जो हम सोच रहे हैं, उसकी दिशा सही है या नहीं।
 
लेकिन ज़ुबान से कुछ शब्द नहीं निकल रहे थे, हालत ऐसी हो रही थी जैसे हमारे भाषण के दौरान होते हैं जब माइक के सामने स्क्रिप्ट भूल जाते हैं। फिर भी, हिम्मत करके पूछ ही लिया, "कब, कैसे हुआ? तीन दिन पहले तो देखा था, बिल्कुल स्वस्थ घूम रहे थे बाज़ार में..." शर्मा जी बिखर उठे, "क्या मतलब आपका, बाबूजी..." वो हंसे, हाहा। "अरे डॉ. साहब, ऐसा कुछ नहीं, वो तो स्वस्थ हैं। अभी कुछ नहीं बिगड़ने वाला उनका दस साल तक।" ऐसा कहते हुए वो कुछ गंभीर हो गए। शायद उन्हें लगा कि मेरी सोच सही साबित हो रही है। "वो तो बस यूँ ही... आजकल फैशन ट्रेंड है यार... हमने एक डिजिटल ऐप डाला है मोबाइल में, उसमें देखा कि गंजापन हमारी पर्सनालिटी पर सूट करता है। हमें कूल दिखा रहा था, सो करवा लिए गंजे!"
लो जी बस  बाल-बाल बचकर आया हूँ।
 
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रचनाकार परिचय

मुकेश 'असीमित'

ईमेल : drmukeshaseemit@gmail.com

निवास : गंगापुर सिटी (राजस्थान)

मूल नाम- डॉ० मुकेश गर्ग
संप्रति- अस्थि एवं जोड़ रोग विशेषज्ञ
लेखन विधाएँ- कविताएँ, संस्मरण, लेख एवं व्यंग्य
प्रकाशन- 'नरेंद्र मोदी का निर्माण : चायवाला से चौकीदार तक'
काव्य कुम्भ एवं काव्य ग्रन्थ, भाग- प्रथम (साझा संकलन)
देश-विदेश के जाने-माने दैनिकी, साप्ताहिक पत्र और साहित्यिक पत्रिकाओं में नियमित रूप से लेख प्रकाशित
सम्मान/पुरस्कार- स्टेट आई एम ए द्वारा प्रेसिडेंशियल एप्रिसिएशन अवार्ड
संपर्क- गर्ग हॉस्पिटल, स्टेशन रोड, गंगापुर सिटी (राजस्थान)- 322201